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शब्दकोश > हिंदी शब्दकोश > "नगण्यता" अर्थ

नगण्यता का अर्थ

उदाहरण वाक्य
31.स्वार्थ , स्वार्थ के आगे रिश्तों की नगण्यता , अपनी नज़र में सही होने के लिए हर गलत से आँखें चुराना , खामोश रहना और सत्य की पुकार को अनसुना करना , ......... ईश्वर ने हर वह सत्य दिखाया , जिस पर एक परत डाल लोग अन्य लोगों को तो भ्रमित करते ही हैं - खुद को भी प्रश्नात्मक बना देते हैं .

32.इसके पहले यह जीवन एक वाक्य था हर पल लिखा जाता हुआ अब तक किसी तरह कुछ सांसों , उम्मीदों , विपदाओं और बदहवासियों के आलम में टेढ़ी-मेढ़ी हैंडराइटिंग में , कुछ अशुद्धियों और व्याकरण की तमाम ऐसी भूलों के साथ जो हुआ ही करती हैं उस भाषा में जिसके पीछे होती है ऐसी नगण्यता और मृत या छूटे परिजनों और जगहों की स्मृतियां

33.ऐसी अन्य पद्धतियों में भिन्न-भिन्न प्रकार के पदार्थों या वस्तुओं से निर्मित पिरामिडों का प्रयोग होता रहा है , परंतु यंत्र शास्त्र में स्वर्ण , रजत , ताम्र , कांसा , पीतल या पांच अथवा अष्ट धातअु ा ंे आदि क े मिश्रणांे व पत्थरों को मुख्य रूप से श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि कागज , प्लास्टिक व अन्य निर्जीव पदार्थों में चैतन्य शक्ति की नगण्यता के कारण उन्हें प्राण-प्रतिष्ठा के योग्य नहीं समझा जाता।

34.‘जहां कहीं मनुष्य का अपने अभिमत के प्रति समर्पण हैं , जहां कहीं जीवन की श्रम से आराधना है, जहां कहीं उत्सर्ग और बलिदान के मोमदीप अंधकार को अपनी बलि दे रहे है, जहां कहीं नगण्यता गण्यमान्यता को चुनौती दे रही है, जहां कहीं हिमालय की रक्षा में सिरों को हथेलियों पर लेकर मरण-त्यौहार मनानेवाली जवानियां है और जहां कहीं पसीना ही नगीना बना हुआ है, वहीं पर, केवल वहीं पर, आपका माखनलाल दीखते हुए या न दीखते हुए भी उपस्थित रहना चाहता है।

35.उन्होंने कहा- ' जहां कहीं मनुष्य का अपने अभिमत के प्रति समर्पण हैं, जहां कहीं जीवन की श्रम से आराधना है, जहां कहीं उत्सर्ग और बलिदान के मोमदीप अंधकार को अपनी बलि दे रहे है, जहां कहीं नगण्यता गण्यमान्यता को चुनौती दे रही है, जहां कहीं हिमालय की रक्षा में सिरों को हथेलियों पर लेकर मरण-त्यौहार मनानेवाली जवानियां है और जहां कहीं पसीना ही नगीना बना हुआ है, वहीं पर, केवल वहीं पर, आपका माखनलाल दीखते हुए या न दीखते हुए भी उपस्थित रहना चाहता है।

36.उन्होंने कहा- ‘जहां कहीं मनुष्य का अपने अभिमत के प्रति समर्पण हैं , जहां कहीं जीवन की श्रम से आराधना है, जहां कहीं उत्सर्ग और बलिदान के मोमदीप अंधकार को अपनी बलि दे रहे है, जहां कहीं नगण्यता गण्यमान्यता को चुनौती दे रही है, जहां कहीं हिमालय की रक्षा में सिरों को हथेलियों पर लेकर मरण-त्यौहार मनानेवाली जवानियां है और जहां कहीं पसीना ही नगीना बना हुआ है, वहीं पर, केवल वहीं पर, आपका माखनलाल दीखते हुए या न दीखते हुए भी उपस्थित रहना चाहता है।

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