| 31. | निज नृप छत्रच्छाँह में , कई छत्रपति शान ।
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| 32. | तिन्ह नृप सुतहिं कीन्हं प्रनामा , कहि सच्चिदानंद परद धामा।
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| 33. | विश्वनाथ , बिसाहू, उमर नृप लक्षमण छत्तीस कोट कवि।
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| 34. | इन नृप को द्विज आसन दीजै॥ 402 ॥
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| 35. | * जब प्रतापरबि भयउ नृप फिरी दोहाई देस।
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| 36. | कोउ नृप होय हमें का हानी . ... ।
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| 37. | साध-पूर्ति कर नृप उसे , परख, मिला के साथ
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| 38. | चन्द्रग्रहण को नाम सुनत निज नृप को मानी।
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| 39. | ' रोक-टोक से नहीं सुनेगा, नृप समाज अविचारी है,
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| 40. | रोज़ परखना चाहिये , नृप को उसका काज ॥
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