| 31. | ‘समुच्चयगुणितः ' पृष्ठ संख्या 84 पृथक् चीन नहीं हैं।
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| 32. | ' लिंगानुशासन ' पृथक् ग्रंथ ही है ।
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| 33. | ' लिंगानुशासन ' पृथक् ग्रंथ ही है ।
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| 34. | वियुक्त रूप में संबंधतत्व पृथक् अस्तित्व रखता है।
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| 35. | तब इस ( नए रूप) का पृथक् व्याकरण बनेगा।
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| 36. | पृथक् वैयक्तिक सत्ता रूपी देह भस्म हो गयी।
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| 37. | ब्रह्म से पृथक् उनका अस्तित्व संभव नहीं है।
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| 38. | इनकी शिक्षा के लिए पृथक् वेदांग बनाया गया।
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| 39. | शक्ति , शक्तिमान से कभी पृथक् नहीं रहती।
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| 40. | किन्तु निम्नोक्त उद्धरण सर्वथा पृथक् प्रकृति का है।
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