जी हां कार को रिवर्स कर पार्क करने में चालक को कई बातों का ध् यान देना होता है क् योंकि उसे अपनी कार को उस क्षेत्र में प्रवेश कराना होता है जिसके बारें में पूरी तरह अनभिज्ञ होता है।
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इसके लिए तो हमें ऐसा कुछ ईजाद करने की जरूरत है , जो सुबह-सुबह उठते ही हमें सीरींज में डाल कर अपने शरीर में प्रवेश कराना होगा , ताकि दिन भर भ्रष्टाचार के कीडे़ जगे नहीं , सोये हुए रहे।
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भारत गणतंत्र बनने के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं 0 जवाहरलाल लाल नेहरू ने देश की कार्यपालिका के उच्च सदन राज्य सभा में नामांकित सदस्यों के रूप में देश के विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त विद्वानों को प्रवेश कराना चाहते थे ।
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बी . टी . बैगन पर चर्चा करने से पहले यह जानना उचित होगा कि आखिर जैव तकनीक है क्या ? जेनेटिक इंजीनियरिंग या जैव तकनीक एक नई तकनीक है जिसके द्वारा एक प्रजाति के जीन को दूसरी प्रजाति मं प्रवेश कराना संभव होता हे।
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इसमें कहा गया है दण्ड , वक्र आदि सात प्रकार के वायु और सूर्य किरणों की शक्तियों का आकर्षण करके यान के मुख से जो तिरछे फेंकने वाला केन्द्र है उसके मुख में उन्हें नियुक्त करके बाद उसे खींचकर शक्ति पैदा करने वाले नाल में प्रवेश कराना चाहिए।
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शल्य क्रिया के पश्चात चतुर्दिक सावधानी बरतने में विशेषज्ञता , चिकित्सकों द्वारा संवेदनहीनता की योजना को विकसित करना तथा संज्ञाहारियों का शरीर में प्रवेश कराना इन सब को संयुक्त राज्य में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के रूप में जाना जाता है एवं यूनाइटेड किंगडम तथा कनाडा में एनेस्थेटीस्ट या एनेस्थेसियोलॉजिस्ट कहा जाता है.
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यह उन्हीं लोगों को दिया जा सकता है जिनका गुलिकार्ति दंडाणुओं से रोगसंक्रमण नहीं हुआ है , क्योंकि हमारा ध्येय गुलिकार्ति दंडाणुओं के अनेक संभाव्य आपत्तियों से भरे प्राकृतिक संक्रमण के स्थान पर ऐसे बीजाणुओ का प्रवेश कराना है तो प्रतिरक्षा को तो विकसित होने देते हैं, किंतु कोई जटिलता नहीं उत्पन्न करते।
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यह उन्हीं लोगों को दिया जा सकता है जिनका गुलिकार्ति दंडाणुओं से रोगसंक्रमण नहीं हुआ है , क्योंकि हमारा ध्येय गुलिकार्ति दंडाणुओं के अनेक संभाव्य आपत्तियों से भरे प्राकृतिक संक्रमण के स्थान पर ऐसे बीजाणुओ का प्रवेश कराना है तो प्रतिरक्षा को तो विकसित होने देते हैं, किंतु कोई जटिलता नहीं उत्पन्न करते।
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पर , जब हिन्दी और अन्य देशी भाषाओं के गले में फाँसी डाल दी गयी है और उनका आसरा लेनेवालों के लिए कोई भविष्य नहीं छोड़ा गया है , तब इसमें आश्चर्य कि अपने बालकों को उच्च आसन पर बिठाने के इच्छुक माता-पिता इन आँग्ल भारतीय विद्यालयों में उनको प्रवेश कराना चाहें।
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थोड़ी-सी विद्या वाला भी ऐसा लेख कभी नहीं करता और न मानता और हिकमत देखो कि जहाँ दिन है वहाँ रात नहीं ओर जहाँ रात है वहाँ दिन नहीं , उसको एक दूसरे में प्रवेश कराना लिखता है यह बड़े अविद्यानों की बात है , इसलिए यह कुरान विद्या की पुस्तक नहीं हो सकती।