यदि यह पदार्थ सूखना आरंभ हो जाए तो ‘ प्रोटोप्लाज्म ' कण भी धीरे-धीरे क्षीण होने आरंभ हो जाते हैं और इस प्रकार यह ‘ प्रोटोप्लाज्म ' कण क्षीण होते- होते एक दिन अकस्मात ख़त्म हो जाते हैं और इनसे मूल चेतना गायब हो जाती है .
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इस के विपरीत , जहाँ भी प्रोटोप्लाज्म का , जीवित एल्बुमिन का अस्तित्व है और वह प्रतिक्रिया करता है , यानी निश्चित बाह्य उद्दीपनाओं के फलस्वरूप निश्चित क्रियाएँ संपन्न करता है , भले ही ये क्रियाएँ अत्यन्त ही सहज प्रकार की हों , वहाँ क्रिया की एक नियोजित विधि विद्यमान रहती है।