| 31. | Wormसिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी
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| 32. | `` अध्यक्ष जी ने अपनी भृकुटी तानते हुए कहा।
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| 33. | तेरी भृकुटी में तान्डव का ताल है
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| 34. | और भृकुटी टेढ़ी करके महान् कोपयुक्त हो रहे थे।
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| 35. | * सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी , *...
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| 36. | की भृकुटी तन गयी और वह चुपचाप मुड़ गया।
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| 37. | जनता जब कोपकुल हो भृकुटी चढ़ती हैं ,
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| 38. | तब इतनी टेढी भृकुटी क्यों ? देहु चरण में प्रीत॥
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| 39. | चलत अधर भृकुटी कर पल्लव , नासा पुट जुग नैन।
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| 40. | मुझे देखते ही जेल सुप्रिंटेंडेंट की भृकुटी चढ़ गईं।
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