| 31. | साधना की दृष्टि से आंखे बंद रखना चाहिए और अपना ध्यान भ्रू मध्य में लगाकर रखना चाहिए .
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| 32. | साधना की दृष्टि से आंखे बंद रखना चाहिए और अपना ध्यान भ्रू मध्य में लगाकर रखना चाहि ए .
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| 33. | तज कर तरल तरंगों को , इन्द्रझनुष के रंगों को;तेरे भ्रू भंगों में कैसे, बिंधवा दूं निज मृग सा मन।।
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| 34. | भ्रू के खिचने से ललाट में जो सिकुड़नें पड़ जाती हैं वे इसी पेशी के संकुचन का फल होती है।
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| 35. | भ्रू के खिचने से ललाट में जो सिकुड़नें पड़ जाती हैं वे इसी पेशी के संकुचन का फल होती है।
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| 36. | भ्रू , नयन , भुजा , करि , पाद , ग्रीवा आदि का संचालन नृत्य में विशेष महत्व रखता है।
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| 37. | भावप्रदर्शन के लिए हाथ , पैर, नेत्र, भ्रू, एवं कटि, मुख, मस्तक आदि अंगों की विविध चेष्टाओं की अनुकृति आंगिक अभिनय है।
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| 38. | तज कर तरल तरंगों को , इन्द्रझनुष के रंगों को ; तेरे भ्रू भंगों में कैसे, बिंधवा दूं निज मृग सा मन।।
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| 39. | मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपने कार्यालय में गर्ल्स चाइल्ड डे पर पीसीएनडीटी अधिनियम 1994 के क्रियान्वयन एवं कन्या भ्रू ण . ..
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| 40. | एक भ्रू रास्ते को लेकर भी है…पाउंटा साहेब से एक रास्ता हिमाचल से होकर ट्यनी तक है ( शिलाई होकर) दूसरा कलसी चकराता ट्यूनी होकर।
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