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शब्दकोश > हिंदी शब्दकोश > "मतांध" अर्थ

मतांध का अर्थ

उदाहरण वाक्य
31.इस जिहाद के स्पष्टतः घोषित तौर पर हिन्दू केन्द्रित आघातों के बावजूद पिछले 30 वर्षों के एक तरफा जिहादी युद्ध की प्रतिक्रिया में एक भी हिन्दू आतंकवादी पैदा नहीं हुआ जो यह कहता कि इन कायर और मतांध जिहादियों को हम अपनी ताकत से ठीक करेंगे।

32.इस जिहाद के स्पष्टत : घोषित तौर पर हिन्दू केन्दित आघातों के बावजूद पिछले ३० वर्षों के एक तरफा जिहादी युद्ध की प्रतिक्रयिा में एक भी हिन्दू आतंकवादी पैदा नहीं हुआ जो यह कहता कि इन कायर और मतांध जिहादियों को हम अपनी ताकत से ठीक करेंगे।

33.यदि सांस्कृतिक आलोचना ( कल्चुरीक्रितिक ) की मतांध प्रस्थापनाएं वास्तव में वैध हैं , और कुछ मार्क्सवादी खासकर हर्बर्ट मारकस उस विचार से सहमत हैं , तो मेहनतकश वर्ग की आत्म मुक्ति के रूप में समाजवाद को पुराशास्त्रीय अर्थग्रहण एक सांप्रदायिक धर्मपरायणता से ज्यादा कुछ भी नहीं।

34.क्या कुछ मतांध लोगों को इस बात की छूट दी जा सकती है कि वे संगीत को इस्लाम विरोधी घोषित कर दें ? इस्लामी समाज के जिम्मेदार लोगों को संगीत की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए और उन कंट्टरपंथी ताकतों का विरोध करना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं।

35.खासकर पत्रकारों के प्रति जिस तरह का बर्ताव देखने को मिल रहा है वो गलत है कुछ दिनों पहले लालूजी भी इस मतांध में जीते थे अबे ओ पत्रकार ऐ रिपोर्टर…जबसे जमीन नजर आई है अब सब साफ नजर आने लगा है ममता दीदी को भी मतांध की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए

36.खासकर पत्रकारों के प्रति जिस तरह का बर्ताव देखने को मिल रहा है वो गलत है कुछ दिनों पहले लालूजी भी इस मतांध में जीते थे अबे ओ पत्रकार ऐ रिपोर्टर…जबसे जमीन नजर आई है अब सब साफ नजर आने लगा है ममता दीदी को भी मतांध की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए

37.खासकर पत्रकारों के प्रति जिस तरह का बर्ताव देखने को मिल रहा है वो गलत है कुछ दिनों पहले लालूजी भी इस मतांध में जीते थे अबे ओ पत्रकार ऐ रिपोर्टर … जबसे जमीन नजर आई है अब सब साफ नजर आने लगा है ममता दीदी को भी मतांध की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए

38.खासकर पत्रकारों के प्रति जिस तरह का बर्ताव देखने को मिल रहा है वो गलत है कुछ दिनों पहले लालूजी भी इस मतांध में जीते थे अबे ओ पत्रकार ऐ रिपोर्टर … जबसे जमीन नजर आई है अब सब साफ नजर आने लगा है ममता दीदी को भी मतांध की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए

39.भारत को अब वास्तविक जनांदोलनों की जरूरत है जो इन सारी दुष्प्रवृत्तिायों विरूद्ध देश की व्व्व राष्ट्रीयसहारा कॉम जनता के वास्तविक हितों को समाहित कर सकें तथा इन हितों पर दावेदारी करने वाले दलालों , ठगों , बेईमानों और अपने-अपने समूहों के मतांध ठेकेदारों को समाज की मुख्यधारा से निर्वासित कर अतीत के कूड़ेदान में फेंक सकें।

40.अरे , अक्ल के धर्म-अंधे बपचोदी, तुझे यह क्यों नहीं महसूस होता कि यदि ईश्वर नाम का कोई तत्व इस दुनिया का नियामक होता तो तेरी जैसी बेसुरी विकलांग-बुद्धि और धार्मिक रूप से मतांध और मतवाली संतान इस पृथ्वी पर पैदा हो हो कर उसे गन्दा नहीं कर जाती…धर्म-जाति के फसाद नहीं होते, तुम जैसी हरामियों की अगुआई में.

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