यदि मनुष् य पिता , पितामह और प्रपितामह के उद्देश् य से तथा मातामह , प्रमातामह और वृद्धप्रमातामह के उद्देश् य से श्राद्ध तर्पण करेंगे तो उतने से ही उनके पिता और माता से लेकर दिव् य पितरों तक सभी पितर तृप् त हो जायेंगे।
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शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी औरत के पिता का निकाला जाता है जिसका पति व पुत्र जिन्दा हो अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है या है ही नहीं तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता।
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शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी औरत के पिता का निकाला जाता है जिसका पति व पुत्र जिन्दा हो अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है या है ही नहीं तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता।
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शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी औरत के पिता का निकाला जाता है जिसका पति व पुत्र जिन्दा हो अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है या है ही नहीं तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता।
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शर्त यह है कि मातामह श्राद्ध उसी औरत के पिता का निकाला जाता है जिसका पति व पुत्र जिन्दा हो अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है या है ही नहीं तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता।
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अमावस्या का श्राद्ध पार्वण विधि से होता है , इसमें आश्विन की अमावस्या को त्रिपार्वण अर्थात पिता आदि तीन, नाना आदि तीन एवं माता आदि तीन के लिए श्राद्ध किया जाता है, जबकि अन्य अमावस्या में सपत्नीक पिता आदि तीन एवं सपत्नीक मातामह आदि तीन के लिए श्राद्ध किया जाता है।
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मुख से निकल पड़े हों , फिर कुछ सोच कर ' मेरे और भाई कहाँ हैं ? ' ' वत्स , तुम्हारे पाँचो भाई अपने मामा और मातामह के पास रह कर उचित शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं ? ' घटोत्कच के आवागमन से वन-जीवन में विविधता का संचार होने लगा .
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५९४ , १९ वाँ रास्ता खार बम्बई,का घर मैँ और दीपक/ कोज़ुमल, मेक्सिको,जाते हुए क्रुज़ शीप मेँ अम्मा / श्रीमती सुशीला नरेन्द्र शर्मा, श्रीमती कपिला गुलाबदास गोदीवाला , महिला कोँग्रेस पार्टी की अध्यक्षा / भाषण करते हुए श्री गुलाबदास गोदीवाला श्री गुलाबदास गोदीवाला मोटा बा, उनकी माताजी, मेरी मेरी मातामह, पडनानीजी के साथ
39.
पितृ-पक्ष के दिनों में अपने स्वर्गीय पिता , पितामह, प्रपितामह तथा वृद्ध प्रपितामह और स्वर्गीय माता, मातामह, प्रमातामह एवं वृद्ध-प्रमातामह के नाम-गोत्र का उच्चारण करते हुए अपने हाथों की अञ्जुली से जल प्रदान करना चाहिए (यदि किसी कारण-वश किसी पीढ़ी के पितर का नाम ज्ञात न हो सके, तो भावना से स्मरण कर जल देना चाहिए)।
40.
पितृपूजन में दिवंगत पिता , पितामह , प्रपितामह , माता , मातामह , प्रमातामह , मातामह ( नाना ) , प्रमातामह , वृद्धमातामह , मातामही ( नानी ) एवं इससे जुड़े पूरे परिवार से संबंधित दिवंगत कोई भी सदस्य यथा बहन , काका , मामा , बुआ , मौसी , ससुर आदि का भी महत्व रहता है।