मुख्य उपनिषदें हैं- ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुंडक , मांडूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छांदोग्य , बृहदारण्यक और श्वेताश्वर।
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मुख्य उपनिषद हैं- ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुंडक , मांडूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छांदोग्य , बृहदारण्यक और श्वेताश्वर।
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मुख्य उपनिषद हैं- ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुंडक , मांडूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छांदोग्य , बृहदारण्यक और श्वेताश्वर।
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१ २ ) , तैत्रय उपनिषद् ( २ . ३ ) , मुंडक उपनिषद ( १ . १ . ५ ) , गोपथ ब्राह्मण ( २ .
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१ २ ) , तैत्रय उपनिषद् ( २ . ३ ) , मुंडक उपनिषद ( १ . १ . ५ ) , गोपथ ब्राह्मण ( २ .
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जिनमें से मुख्य उपनिषद हैं - ईश । केन । कठ । प्रश्न । मुंडक । मांडूक्य । तैत्तिरीय । ऐतरेय । छांदोग्य । बृहदारण्यक । श्वेताश्वर । असंख्य वेद शाखाएँ ।
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26 जनवरी , 1950 को जब देश गणतंत्र बना, संसद ने राष्ट्रीय चिह्न के रूप में अशोक चक्र व उसके नीचे लिखे मुंडक उपनिषद के सूत्र वाक्य सत्यमेव जयते को मान्यता दी थी।
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मुंडक उपनिषद् के प्रथम खंड में ही जिसे परा एवं अपरा विद्या के रूप में ' द्वे विद्ये वेदितव्ये ' कहा है , उसी चीज को सफाई के साथ महाभारत के शांतिपर्व के ( 231 - 6 ।
39.
भारतीय प्राचीन ग्रंथों में से एक मुंडक उपनिषद से लिया गया यह आदर्श वाक्य , आजादी के बाद राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया और आज भी भारतीय सिक्के के एक तरफ देवनागरी लिपि में लिखा हुआ दिख जाता है।
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आज़ाद भारत के हुक्मरानों ने बहुत सोच समझ कर जब इस संस्कृत की इस सूक्ति को मुंडक उपनिषद से निकाल कर भारत का राष्ट्रीय सिध्दांत बनाने का विचार बनाया होगा , तब उन्होनें ये बिल्कुल नही सोचा होगा कि उनकी आने वाली पीढ़ियाँ आगे चलकर एक ऐसे देशकाल में जीने के लिये अभिशप्त होंगी जहाँ “सत्य” की तो विजय होगी पर सबसे पहले उस अधनंगे फकीर की हत्या की जायेगी, जिसने पूरी ज़िंदगी सत्य और अहिंसा की साधना की।