इससे भी विभिन्न समस्याओं जैसे- विवाह , यथेच्छ संतान न होना , शिक्षा में रुकावट , बेरोजगारी , व्यापार में घाटा , धनाभाव , प्रमोशन व भाग्य बाधा स्वास्थ्य हानि मुकदमा , दुर्घटना , मृत्यु ( अकाल ) आदि में इनकी पूजा से लाभ मिलता है।
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इससे भी विभिन्न समस्याओं जैसे- विवाह , यथेच्छ संतान न होना , शिक्षा में रुकावट , बेरोजगारी , व्यापार में घाटा , धनाभाव , प्रमोशन व भाग्य बाधा स्वास्थ्य हानि मुकदमा , दुर्घटना , मृत्यु ( अकाल ) आदि में इनकी पूजा से लाभ मिलता है।
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दशरथ से ? यज्ञ से? नहीं; दशरथ ने होता, अवयवु और युवध नामक तीन पुरोहितों से “अपनी तीनों रानियों से सम्भोग करने की प्रार्थना की।” पुरोहितों ने “अपने अभिलषित समय तक उनके साथ यथेच्छ सम्भोग करके उन्हें राजा दशरथ को वापस कर दी।” (पृ. 11) ऐसे वर्णन न तथ्यपूर्ण कहे जायेंगे, न अस्मितामूलक, बल्कि कुत्सापूर्ण कहे जाऐंगे।
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कवि कहीं से और किसी के भी माध्यम से चेतना जाग्रत करना चाहता है॰मेरी तो आदत हैरोशनी जहाँ भी होउसे खोज लाऊँगा अपने द्वारा किए गये प्रयास से जब यथेच्छ सफलता नहीं मिलती तो कवि निराश नहीं होता और कहता है कि अंतिम क्षण तक प्रयास छोड़ें नहीं क्यों कि आने वाली पीढी उसे आगे बढायेगी॰
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यथेच्छ धन प्राप्तिए संतान प्राप्तिए रोग शांतिए राजा को वश में करने हेतु कारागार ; जेलद्ध से मुक्तिए शत्रु पर विजयए अ ा क षर्् ा ण् ा ए िव द्व े ष् ा ण् ा ए मारण आदि प्रयोगों हेतु अ न ा िद काल से बगलामुखी स ा ध् ा न ा द्वारा लोगों की इच्छा पूर्ति होती रही है।
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यथेच्छ धन प्राप्ति , संतान प्राप्ति , रोग शांति , राजा को वश में करने हेतु कारागार ( जेल ) से मुक्ति , शत्रु पर विजय , अ ा क षर्् ा ण् ा , िव द्व े ष् ा ण् ा , मारण आदि प्रयोगों हेतु अ न ा िद काल से बगलामुखी स ा ध् ा न ा द्वारा लोगों की इच्छा पूर्ति होती रही है।