बदलाव हो रहे हैं और होते रहेंगे किन्तु संक्रमण के इस दौर में लोक और लोकवार्ता की संतुलित और उदार व्याख्या तथा प्रयोग जरुरी है।
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बदलाव हो रहे हैं और होते रहेंगे किन्तु संक्रमण के इस दौर में लोक और लोकवार्ता की संतुलित और उदार व्याख्या तथा प्रयोग जरुरी है।
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लोकवार्ता में किसी भी लोक गाथा के रचना तन्त्र में कथा अनुष्ठानिक तत्त्व में ग्रथित अभिप्राय ( motif ) ही उसका आधार बीज होता है।
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ख्यात लोकवार्ताकार कोमल कोठारी के साथ मिलकर जिसने लोकवार्ता के संग्रह का सांस्थानिक काम शुरू किया , वह यह दावा कर भी नहीं सकता था .
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आज शिव-पार्वती विवाह की कथा , लोकवार्ता और शास्त्र-पुराणों मे अखिल भारतीय रूप में प्राप्त है पर वैदिक साहित्य में शिव-विवाह का कोई उल्लेख नहीं आया।
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आज शिव-पार्वती विवाह की कथा , लोकवार्ता और शास्त्र-पुराणों मे अखिल भारतीय रूप में प्राप्त है पर वैदिक साहित्य में शिव-विवाह का कोई उल्लेख नहीं आया।
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आज आवश्यकता इस बात की है कि लोकवार्ता की विविध विधाओं को और अधिक सशक्त बनाया जाय तथा नव-पीढ़ी को प्रेरित कर अपनी लोक-संस्कृति की मूलभावना से अवगत कराया जाय।
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( 4) संस्कृति अनेक विभागों में विभक्त होती है, जैसे भौतिक संस्कृति (तकनीकी ज्ञान और अर्थव्यवस्था), सामाजिक संस्थाएँ (सामाजिक संगठन, शिक्षा, राजनीतिक संगठन) धर्म और विश्वास, कला एवं लोकवार्ता, भाषा इत्यादि।
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( 4) संस्कृति अनेक विभागों में विभक्त होती है, जैसे भौतिक संस्कृति (तकनीकी ज्ञान और अर्थव्यवस्था), सामाजिक संस्थाएँ (सामाजिक संगठन, शिक्षा, राजनीतिक संगठन) धर्म और विश्वास, कला एवं लोकवार्ता, भाषा इत्यादि।
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पूरी संस्कृति पर विचार करने के लिए वे उस समाज के लोगों का तकनीकी ज्ञान , आर्थिक जीवन, सामाजिक और राजनीतिक संस्थाएँ, धर्म, भाषा, लोकवार्ता एवं कला का अध्ययन करते हैं।