84 था . इस दौरान उनका कुल औसत सचिन से भी आगे निकल गया था और गेंदबाजों के लिए उनका विकेट सबसे कीमती हुआ करता था.</p>< p class=“quote_right”>गंभीरता और शांतचित्तता, द्रविड़ के ये दो ऐसे गुण हैं जो उन्हें उस तरह का हीरो नहीं बनने देते जैसे गांगुली कोलकाता में, धोनी झारखंड में और तेंदुलकर पूरे देश में हैं</p>< p>आंकड़ों की गहराई में उतरने का मकसद सिर्फ यही दिखाना है कि द्रविड़ की वीरता को अक्सर भाग्य की क्रूरता लीलती रही है.