| 31. | आज के संत्रस्त मनुष्य को जीवन मूल्यों पर विश्वास करना सिखाना है।
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| 32. | एक रसिक कर्कश स्वर से संत्रस्त हो मनहूस बन जाता है ।
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| 33. | आज के संत्रस्त मनुष्य को आशा एवं विश्वास की आलोकशिखा थमानी है।
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| 34. | आज के संत्रस्त मनुष्य को आशा एवं विश्वास की आलोकशिखा थमानी है।
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| 35. | के लिए है जो भीतर और बाहर के आदमियों से संत्रस्त है ,
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| 36. | आज के संत्रस्त मनुष्य को जीवन मूल्यों पर विश्वास करना सिखाना है।
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| 37. | वे अकेले नहीं होंगे , दूसरे कई भी उनके साथ संत्रस्त होंगे।
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| 38. | जीवन चिंता , भय, क्रोध आदि भावों से संत्रस्त हो जाता है ।
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| 39. | मैं कविता लिखते समय एक भीतरी व्यथा से संत्रस्त हो जाता हूं।
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| 40. | आज के संत्रस्त मनुष्य को आशा एवं विश्वास की आलोकशिखा थमानी है।
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