| 31. | बार-बार प्रतिज्ञा करना है कि अब पुन : किसी के सदोष कहने पर बुरा नहीं मानेंगे।
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| 32. | शुद्ध जीव ही भगवद् सेवा का अधिकारी है क्योंकि सदोष जीव को भगवान कैसे अंगीकार करें।
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| 33. | अनुमानों में जो हेतु पेश किया जाता है , वह सदोष हो तो उसे हेत्वाभास कहते हैं।
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| 34. | शुद्ध जीव ही भगवद् सेवा का अधिकारी है क्योंकि सदोष जीव को भगवान कैसे अंगीकार करें।
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| 35. | मुद्रा , झण्डा या राजचिह्न में महज़ आंशिक परिवर्तन से वे सदोष, अनुपयुक्त एवं त्याज्य हो जाते हैं.
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| 36. | जब कि यह भा . दंड संहिता की धारा 340 में परिभाषित सदोष परिरोध का अपराध है।
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| 37. | अनुमानों में जो हेतु पेश किया जाता है , वह सदोष हो तो उसे हेत्वाभास कहते हैं।
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| 38. | ऐसे प्रत्येक अवयव की परीक्षा एक्सरे से की जाती है और सदोष अवयवों का त्याग किया जाता है।
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| 39. | विचारशील मनुष्य स्वतः , स्वभावतः सही और गलत चिंतन में, निर्दोष एवं सदोष तर्कना- प्रकारों में अंतर करते हैं।
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| 40. | विचारशील मनुष्य स्वतः , स्वभावतः सही और गलत चिंतन में, निर्दोष एवं सदोष तर्कना- प्रकारों में अंतर करते हैं।
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