| 31. | इस चिन्तन स्वरूप को समष्टि भाव कहते हैं।
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| 32. | वही समग्र समष्टि में क्रीड़ा कर रहा है।
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| 33. | लोक अंततः व्यष्टि का ही समष्टि रुप है।
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| 34. | समष्टि की हलचलों का व्यष्टि चेतना पर प्रभाव
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| 35. | इस चिन्तन स्वरूप को समष्टि भाव कहते हैं।
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| 36. | यही बात व्यष्टि तथा समष्टि की भी है।
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| 37. | घट में समष्टि और समुच्चय का भाव है।
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| 38. | व्यष्टि से समष्टि की ओर जाना ही सामाजिकता है।
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| 39. | शाश्वत सत्य . ..व्यष्टि से समष्टि ..अति सुन्दर लिखा है आपने..
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| 40. | ध्यान में हम सीधे समष्टि से संबंधित होते हैं।
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