| 31. | कीजै कृपा सुमिरि अपनौ प्रन , सूरदास बलि जाउँ॥
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| 32. | की पदावली में प्रारंभिक जीवनयापन कर सूरदास ( सं.
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| 33. | और सूरदास ने इसे साबित भी कर दिखाया।
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| 34. | किंतु सूरदास अब भी वहीं बैठा हुआ था।
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| 35. | मन की मन ही माँझ रही / सूरदास
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| 36. | यह कहकर उसने सूरदास को गुदगुदाना शुरू किया।
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| 37. | पेरियाळवार और सूरदास के काव्य में वात्सल्य भाव
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| 38. | रंगभमि के सूरदास की याद आ जाती है।
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| 39. | सूरदास प्रभु देत दिनहिं दिन ऐसियै लरिक सलोरी॥
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| 40. | मुझे सूरदास के सुर में मिलाकर कहना होगा . ..
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