शिवरात्रि-शिव विवाह- शिव ही परम सत्ता अर्थात परमात्मा हैं और पार्वती शिव हैं अर्थात परमात्मा की शक्ति शिव शक्ति द्वारा प्रकृति क़े संयोजन से सृष्टि करना ही शिव रात्री का पर्व है .
32.
अतः अब स्त्री-पुरुष के समागम से मैं प्रजाको उत्पन्न कर सृष्टि का विस्तार करना चाहता हूँ , किंतु अभीतक नारी-कुलका प्राकट्य नहीं हुआ है और नारी-कुलकी सृष्टि करना मेरी शक्ति से बाहर है।
33.
राजनैतिक दृष्टि से पृथकवाद का विकल्प ढूँढना एवं समाज के युवावृन्द में स्वस्थ राजनीति की कर्मभूमि में पूरी तरह से अकथ लालसा की सृष्टि करना आज के बिन्दु के आगे वरणीय हो सकती है।
34.
कवि का कार्य नए अनुभवों की , नए भावों की खोज नहीं है , प्रत्युत पुराने और परिचित भावों के उपकरण से ही ऐसी नूतन अनुभूतियों की सृष्टि करना जो उन भावों से पहले प्राप्त नहीं की जा चुकी हैं।
35.
रचनात्मक या रागात्मक साहित्य के दो भेद लक्ष्य ग्रन्थ और लक्षण ग्रन्थ हैं साहित्यकार का उद्देश्य अलौकिक आनंद की सृष्टि करना होता है जिसमें रसमग्न होकर पाठक रचना के कथ्य , घटनाक्रम , पात्रों और सन्देश के साथ अभिन्न हो सके .
36.
१ ३ ( खाण्डव वन दाह के समय इन्द्र द्वारा अर्जुन पर ऐन्द्रास्त्र के प्रयोग से जल धारा आदि की सृष्टि करना , अर्जुन द्वारा वायव्यास्त्र की सहायता से ऐन्द्रास्त्र का निवारण ; अर्जुन द्वारा बाणों से समस्त देवताओं के आयुधों का निवारण ) , सभा ८ ० .
37.
लेकिन क्या संगीत का यह उपयोगितावाद क्या एक सीमा के बाद खुद संगीत के साथ अन्याय नहीं करने लगता ? संगीत का काम सारी कला-विधाओं की तरह एक ऐसे आनंद की सृष्टि करना है जिसके सहारे हमें अपने-आप को, अपनी दुनिया को कुछ ज्यादा समझने, कुछ ज्यादा खोजने में मदद मिलती है।
38.
लेकिन क्या संगीत का यह उपयोगितावाद क्या एक सीमा के बाद खुद संगीत के साथ अन्याय नहीं करने लगता ? संगीत का काम सारी कला-विधाओं की तरह एक ऐसे आनंद की सृष्टि करना है जिसके सहारे हमें अपने-आप को , अपनी दुनिया को कुछ ज्यादा समझने , कुछ ज्यादा खोजने में मदद मिलती है।
39.
४ ८ . ३ ४ ( अशोकवाटिका में इन्द्रजित् के शरों के व्यर्थ होने पर इन्द्रजित् द्वारा ब्रह्मास्त्र से हनुमान को बांधना ) , ६ . २२ . ३ ६ ( राम द्वारा समुद्र पर प्रयुक्त ब्रह्मास्त्र से अभिमन्त्रित बाण का द्रुमकुल्य देश में गिर कर पृथिवी पर मरुभूमि की सृष्टि करना ) , ६ .
40.
मनुष्य कहीं भी हो वह सौन्दर्य की सृष्टि करना चाहता है , भले ही वह उस जगह अकेला ही क्यों न हो और उसके सृजन को देखने - सराहने के लिए कोई दूसरा मौजूद न हो तब भी वह अपने आनंद के लिए भी कुछ नया , कुछ सुंदर रचेगा- यही प्राणी को मनुष्य बनाता है .