यह गौरैया अपने भोजन के लिए मुख्यतः बीजों पर निर्भर करती है लेकिन ये अकशेरुकी प्राणियों को भी अपना भोजन बनाती हैं , मुख्यतः प्रजनन काल के दौरान.
42.
[ 4] इसके अलावा, यह व्यापक रूप से विभिन्न प्रजातियों में संरक्षित है, जिनमें शामिल हैं कुछ अकशेरुकी जीव जिनमें ऐसी ही समान रक्त जमाव प्रणाली नहीं है.
43.
सब प्रमुख अकशेरुकी प्राणियों के प्रतिनिधि जीवाश्म कैंब्रिन स्तरों में पाए जाते हैं और उनमें से ट्राइलोबाइट जैसे कुछ प्राणी आदिक्रैंब्रियन काल में ही अपेक्षया अधिक विकसित हो चुके थे।
44.
तीतर जैसे पूंछ वाले जल-कपोत के लिए भोजन का प्रमुख स्रोत कीड़े और अन्य अकशेरुकी होते हैं जिन्हें पानी की सतह से या तैरती हुई वनस्पतियों से पकड़ा जाता है .
45.
तीतर जैसे पूंछ वाले जल-कपोत के लिए भोजन का प्रमुख स्रोत कीड़े और अन्य अकशेरुकी होते हैं जिन्हें पानी की सतह से या तैरती हुई वनस्पतियों से पकड़ा जाता है .
46.
रिपोर्ट करता है कि कशेरुकी के 23% , अकशेरुकी के 5% और पौधों के 70% पौधे जिनका मूल्यांकन किया गया है, उन्हें लुप्तप्राय या संकटापन्न के तौर पर नामित किया गया है.
47.
रिपोर्ट करता है कि कशेरुकी के 23% , अकशेरुकी के 5% और पौधों के 70% पौधे जिनका मूल्यांकन किया गया है, उन्हें लुप्तप्राय या संकटापन्न के तौर पर नामित किया गया है.
48.
प्राय : सब प्रमुख अकशेरुकी प्राणियों के प्रतिनिधि जीवाश्म कैंब्रिन स्तरों में पाए जाते हैं और उनमें से ट्राइलोबाइट जैसे कुछ प्राणी आदिक्रैंब्रियन काल में ही अपेक्षया अधिक विकसित हो चुके थे।
49.
सुविधा की दृष्टि से अब यह नियम सा बन गया है कि जब हम ' जीवाश्मिकी' शब्द का उपयोग करते हैं तब हमारा अभिप्राय केवल अकशेरुकी जीवों के जीवाश्मों के अध्ययन से होता है।
50.
सुविधा की दृष्टि से अब यह नियम सा बन गया है कि जब हम फ़ॉसिल विज्ञान शब्द का उपयोग करते हैं तब हमारा अभिप्राय केवल अकशेरुकी जीवों के फ़ॉसिलों के अध्ययन से होता है;