| 41. | पहली स्लाइड आयी . ... धुंधलापन लिये एक अक्स उभरा।
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| 42. | तेरा ही अक्स है उन अजनबी बहारों में
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| 43. | अक्स मेरा अब खुद हो गया खिलाफ़ मेरे
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| 44. | फिर चौंककर देखते हैं अपना अक्स आईने में
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| 45. | बांग्ला साहित्य में इसका पूरा अक्स उभरा है।
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| 46. | हर अक्स को खुद में समा लूँ ।
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| 47. | क्या अक्स , दिख रहा है ,मंजर तो देखिये.....
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| 48. | कभी है अक्स तेरा और कभी तेरे ख्वाब
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| 49. | है हीर लैला सोहनी महबूब तेरे अक्स में
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| 50. | मैंने तुझमें अपना अक्स कई बार पाया है
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