फिर भी , यहां तक कि अगर हम मान लें कि वह नैतिक अधमता के एक प्रवर्तक था ऐसे द्वेषी दुष्कर्म पूरी तरह से इस्लाम के शांतिपूर्ण और समतावादी शिक्षाओं के साथ असंगत है और कल्पना की किसी भी मायने में कभी नहीं कर सकते हैं Islamically मंजूर की .
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भारतीय मिशनों को ऐसे मामलों में 30 दिनों के भीतर भारत की विदेशी नागरिकता देने के लिए प्राधिकृत किया गया है जहां कोई गंभीर अपराध शामिल ना हो जैसे नशीले पदार्थों की तस्करी , नैतिक अधमता, आतंकवादी गतिविधियां या ऐसी कोई गतिविधियां जिनके कारण एक साल से ज्यादा की जेल हो सकती हो.
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यदि वह नैतिक अधमता से अन्तर्वलित किसी भी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया था या किया गया है या किसी भी परीक्षा या साक्षात्कार में सम्मिलित होने से उच्च न्यायालय या संध लोक सेवा आयोग या किसी भी राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा स्थायी रूप से विवर्जित या निरर्हित किया गया है।
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दोष सिद्धि की कारणगत परिस्थितियों पर विचार किया जाना चाहिए और यदि उस परिस्थितियों में नैतिक अधमता सम्मिलित न हो , या अपराध हिंसा या किसी ऐसे आन्दोलन से सम्बन्ध न हो जिसका उद्देश्य विधि द्वारा स्थापित किसी सरकार को हिंसात्मक तरीके से हटाना हो , तो मात्रा दोषसिद्धि की अनर्हता के रूप में नहीं माना जायेगा।
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1 ) लिखित त्यागपत्र देने पर 2 ) संस्थान के हितों और उद्देश्य के विरुद्ध काम करने पर 3 ) न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता में दोषी मानने पर 4 ) न्यायालय द्वारा पागल या दिवालिया घोषित मानने पर 5 ) मृत्यु हो जाने पर 6 ) कोई गंभीर आरोप लगने और शासकिय जांच में दोषी पाए जाने पर
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यह मकान ढह सकता है कभी भी इसकी दीवारें फटी हैं नींव पर दरारें खुली हैं पर कोई परवाह नहीं करता वे चुप्पी साधे रहते हैं सतही चिप्पियों की सुरक्षा में और धीरज रखने की बात करते हैं स्वार्थ सिद्धि के लिए करते हैं छद्म अपनी अधमता को रहस्यमय बनाते विवेक और भविष्य की चिन्ता दबाते चहारदीवारी के बीच मास्टरों की चुप्पियाॅं खरीदते 14 .
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पढ़े-लिखे जाहिल और मजबूर जनजाति-ब्रिटिश मीडिया में जारवा जनजाति के लोगों को खाने-पीने की लालच देकर नचाने का सनसनीखेज रहस्योद्घाटन होने के बाद गृहमंत्रालय भले ही सख्ती के साथ पेश आ रहा हो और गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद इसके लिए अंडमान जाने की बात कर रहे हों लेकिन इस विडंबना से कोई मुंह नहीं फेर सकता कि पढ़ा-लिखा इंसान अधमता की हदें पार कर चुका है।
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यही नैतिकता है , लेकिन शब्द जब अर्थ खोकर जड़ हो रहते हैं तब कृष्ण आकर शब्दों की कारा से यानी जड़ नैतिकता से मुक्ति का संदेश देते हैं . ” . अब समय आ गया है कि भारतीय समाज जड़ नैतिकता से मुक्त हो और स्त्री को उसकी मानवीय गरिमा तथा स्त्रीत्व का सम्मान बहाल करे ताकि स्त्री-जीव होना अधमता न माना जाए वरना न तो भ्रूण हत्याएं थमेंगी , न बलात्कार - क्योंकि ये तमाम स्त्रीविरोधी अपराध इसीलिए विद्यमान हैं कि हम सच्चे हृदय से स्त्री और स्त्रीत्व का सम्मान नहीं करते .