| 41. | धर्म नित्य है और सुख-दुःख अनित्य हैं।
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| 42. | ज्ञान अनित्य वस्तुओं के संग्रह में है।
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| 43. | नहीं अनित्य से नित्य सम्भव , तथ्य सत्य अचिन्त्य हैं।
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| 44. | भोग्य अनित्य है तथा भोक्ता नित्य है।
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| 45. | यह मानना कि सभी संस्कार अनित्य हैं
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| 46. | अनित्य को ही शाश्वत मान लेता है।
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| 47. | विवेकका अर्थ है नित्य और अनित्य वस्तुका भेद समझना।
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| 48. | जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं !
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| 49. | परिवर्तनशील व आदि-अंत वाला तथा अनित्य है।
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| 50. | इस नित्य चेतन आत्मा का जड़ अनित्य शरीर से ,
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