| 41. | ” फिर भी मैं आपके साथ चलुँगी , ऐसा कैसे सोच लिया अनिन्द्य जी ? “
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| 42. | ” सब कुछ ठीक है , मैं बहुत सुखी हूँ , पर अनिन्द्य बदल गये है।
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| 43. | उसके बाद अनिन्द्य ने उससे कितना भी मिलना चाहा , अमृता ने अवसर नहीं दिया था।
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| 44. | अनिन्द्य के साथ कार में बैठ , उस घर तक पहुँचना मानो जागते हुए स्वप्न-सा देखा था।
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| 45. | ” हाय अमृता , ये तो अनिन्द्य दा हैं , आ , आज जल्दी घर पहुँच जाएँगे।
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| 46. | निरूत्तर अनिन्द्य जब शहर से एकान्त की ओर कार ले जाने लगा तो अमृता डर गयी थी-
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| 47. | एक खंडहर के सामने कार रोक अनिन्द्य ने अमृता का मुँह अपनी ओर घुमा कर कहा था-
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| 48. | अनिन्द्य के रिश्ते की बुआ ने सामने आ , आरती उतारते हुए रूँधे कंठ से कहा था-
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| 49. | भावार्थ : - आप अनिन्द्य या दोषरहित हैं , अखंड हैं , इंद्रियों के विषय नहीं हैं।
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| 50. | रजनी उस दिन काँलेज नहीं गयी थी , काँलेज से बाहर अनिन्द्य की परिचित फ़िएट खड़ी थी।
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