वहां जल्द ही उन्होंने अनुशासक के रूप में ख्याति प्राप्त की , बाद में क्लब के फॉर्वर्ड बॉबी मॅकुले ने कहा कि पहले वे “किसी से भी नहीं डरते थे लेकिन शुरू से ही फर्ग्यूसन भयानक कमीना था”.
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[ 10] वहां जल्द ही उन्होंने अनुशासक के रूप में ख्याति प्राप्त की, बाद में क्लब के फॉर्वर्ड बॉबी मॅकुले ने कहा कि पहले वे “किसी से भी नहीं डरते थे लेकिन शुरू से ही फर्ग्यूसन भयानक कमीना था”.
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परेशान इसलिए है कि सवाल खडे करने के बहाने इसी तरह निंदा चलती रही , थोपी गई बदनामी के कारण यथार्थ धर्म से विरक्तता बढती गई तो जीवन-मूल्यों का महान प्रस्तावक और अनुशासक हमारे जीवन से तिरोहित हो जाएगा .
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अनुशासक यम के नियमन से , नूतन विविध पदार्थ बन गए ॥ ११ - प्रतिकण १ २ जो हैं स्वयं संगठित , अति कठोर रासायनिक बंधन से ; रूप राक्षस , विघ्न डालते , सृष्टि - यज्ञ , रूपी क्रिया में ।
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अत : मैं इस चित्तरूपी चोर को आपके हवाले कर देना चाहता हूँ, क्योंकि आप तस्करपति -चोरों के अनुशासक अर्थात् नगर कुतूवाल हैं, अत: आप इस चोर को अपने अध्ीन कीजिए, तभी मैं सुखी हो सकता हूँ, मेरा इसके चोरी के साथ कोई संबंध् नहीं है, अत: मैं निरपराध् हूँ, इसलिए मेरे ऊपर कृपा कीजिए।
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कार्यक्रम के अन्त में मुख्य अनुशासक राम लहन पाण्डेय , एवं कौमी इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य सुरेश सिंह , कमलेश मिश्र , डा 0 केएल गुप्ता , अमित यादव , राजन दूबे , संदीप यादव , ब्रजनन्दन तिवारी , घनश्याम वर्मा , आचार्य आंेकार नाथ शुक्ल मजबूत राष्ट्र के लिए विद्यालयों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।
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में चुनौतियों दैनिक दोनों घर और काम के सामने अपने रास्ते पर फेंक का सामना करना पड़ रहा है , वह हास्य की उसकी भावना को खो देता है , उसे महीन भावनाओं को महसूस करने की क्षमता और एक रेजिमेंट अनुशासक , एक काम और जो उसे खोने के कगार पर लगभग हमेशा एक पूर्णतावादी बन जाता है शांत करते हैं।
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श्रीकांत सर की छवि एक सख्त अनुशासक और एक परम्परानिष्ठ व्यक्ति की थी , इसलिए मुझे ही नही कईयों का मन शंकाग्रस्त था की कहीं एजुकेशनल टूर जिसमे की डिपार्टमेंट के ३ ५ क्षात्र पूर्ण रूपेण मस्ती के लिए जा रहे हैं और वो भी गोवा पूना और मुंबई जैसे शहर वहां श्रीकांत सर का सख्त रवैय्या कहीं अवरोध तो नही बनेगा।
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हे पार्थ , अभ्यास द्वारा चित्त को योग युक्त कर और अन्य किसी भी विषय का चिन्तन न करते हुऐ , उन पुरातन कवि , सब के अनुशासक , सूक्ष्म से भी सूक्ष्म , सबके धाता , अचिन्त्य रूप , सूर्य के प्रकार प्रकाशमयी , अंधकार से परे उन ईश्वर का ही चिन्तन करते हुऐ , उस दिव्य परम-पुरुष को ही प्राप्त करोगे।
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अत : मैं इस चित्तरूपी चोर को आपके हवाले कर देना चाहता हूँ , क्योंकि आप तस्करपति - चोरों के अनुशासक अर्थात् नगर कुतूवाल हैं , अत : आप इस चोर को अपने अध्ीन कीजिए , तभी मैं सुखी हो सकता हूँ , मेरा इसके चोरी के साथ कोई संबंध् नहीं है , अत : मैं निरपराध् हूँ , इसलिए मेरे ऊपर कृपा कीजिए।