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शब्दकोश > हिंदी शब्दकोश > "आज्ञापालक" अर्थ

आज्ञापालक का अर्थ

उदाहरण वाक्य
41.उसके हुक्म से सख़्लूक़ अपने कमाल ( पूर्णता ) को पहुँच गई , और उसकी इताअत ( आज्ञपालन ) के लिये झुक गई , और बिना तवक़्क़ुफ़ ( अविलम्ब ) लब्बैक कही , और बग़ैर किसी निज़ाअ व मुज़ाहिमत ( विवाद एवं टकराव ) के उस की मुतीइ ( आज्ञापालक ) हो गई।

42.उसने अब्दुल वह्हाब को अपने यहां स्वीकार कर लिया और अब्दुल वह्हाब ने भी इसके बदले में वचन दिया कि नज्द क्षेत्र के रहने वाले समस्त लोगों को उसमान बिन माअमर का आज्ञापालक बना देगा परंतु अहसा क्षेत्र के शासक की होशियारी के कारण उस्मान ने अब्दुल वह्हाब को ओअय्यना नगर से बाहर निकाल दिया।

43.न्याय की बात है कि जब पैदा करने वाला , जीवन देने वाला, मौत देने वाला, खाना, पानी देने वाला और जीवन की हर ज़रूरत को पूरी करने वाला वही एक है तो सच्चे मनुष्य को अपने जीवन और जीवन संबंधी समस्त मामलों को अपने स्वामी की इच्छा के अनुसार उसका आज्ञापालक होकर पूरा करना चाहिए।

44.न्याय की बात है कि जब पैदा करने वाला , जीवन देने वाला , मौत देने वाला , खाना , पानी देने वाला और जीवन की हर ज़रूरत को पूरी करने वाला वही एक है तो सच्चे मनुष्य को अपने जीवन और जीवन संबंधी समस्त मामलों को अपने स्वामी की इच्छा के अनुसार उसका आज्ञापालक होकर पूरा करना चाहिए।

45.अयोध्याकाण्ड के तीसवें सर्ग मे जब राम उन्हें वन ले जाने से विरत करते हैं तो वे आक्षेप करती हुई कहती हैं , “मेरे पिता ने आपको जामाता के रूप मे पाकर क्या कभी यह भी समझा था कि आप शरीर से ही पुरुष हैं ,कर्यकलाप से तो स्त्री ही हैं ।..जिसके कारण आपका राज्याभिषेक रोक दिया गया उसकी वशवर्ती और आज्ञापालक बन कर मै नहीं रहूँगी ।”

46.क्या वह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का चमत्कार नहीं है कि अरब के जाहिल , अक्खड़ , लड़ाके , झगड़ालू , अंधविश्वासी , जुआरी , शराबी , डाकू , व्यभिचारी , प्रतिज्ञा-भंग , कन्यावध , सौतेली माताओं से विवाह करने वाले लोग आज सीधे-सादे यात्रियों और अतिथियों का आदर-सत्कार करने वाले , मेहनती , ईमानदार , सहायक , आज्ञापालक , समतावादी और ईश्वर पूजक दिखायी देते हैं।

47.क्या वह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का चमत्कार नहीं है कि अरब के जाहिल , अक्खड़ , लड़ाके , झगड़ालू , अंधविश्वासी , जुआरी , शराबी , डाकू , व्यभिचारी , प्रतिज्ञा-भंग , कन्यावध , सौतेली माताओं से विवाह करने वाले लोग आज सीधे-सादे यात्रियों और अतिथियों का आदर-सत्कार करने वाले , मेहनती , ईमानदार , सहायक , आज्ञापालक , समतावादी और ईश्वर पूजक दिखायी देते हैं।

48.सूर्य , चन्द्र , वर्षा आदि की आश्चर्य , भय व श्रृद्धा वश आराधना तो करता था परन्तु ईश्वर का कोई स्थान न था , न पुरुष देवताओं का | स्त्री सत्ता अधिक दृढ हुई और स्त्री प्रबंधन से स्त्री-सत्तात्मक समाज की स्थापना हुई | सभी पुरुष पूर्णतया स्त्री-सत्ता के अधीन होकर ही कार्य करते थे | पुरुष धीरे धीरे सिर्फ आज्ञापालक की भांति होता गया | संतान आदि . माताओं के सन्दर्भ से ही जाने व माने जाते थे ...

49.सूरए अनकबूत की आयत संख्या 46 में आया है कि और हे ईमान वालों आसमानी किताब पर ईमान रखने वालों से शासत्रार्थ न किया करो किन्तु बेहतरीन व उत्तम शैली व सुशील शब्द से किन्तु उनमें से जिन लोगों ने तुम पर अत्याचार किया उनसे साफ़ साफ़ कह दो कि जो किताब हम पर उतरी है और जो किताब तुम पर उतरी है हम तो सब पर ईमान ला चुके हैं और हमारा ईश्वर और तुम्हारा ईश्वर एक ही है और हम उसी के आज्ञापालक हैं।

50.सूरए आले इमरान में भी साथ जीवन व्यतीत करने के लिए बेहतरीन शैली और संयुक्त बातों की ओर निमंत्रण दिया गया है और कहा गया है कि हे आसमानी किताब वालो तुम ऐसी बात पर तो आओ जो हमारे और तुम्हारे बीच समान है कि ईश्वर के अतिरिक्त किसी की उपासना न करें और किसी चीज़ को उसका भागीदार न बनाएं और ईश्वर के अतिरिक्त हममें से कोई किसी को अपना ईश्वर न बनाए किन्तु यदि इससे भी मुंह मोड़ें तो तुम कहोः गवाह रहना हम ईश्वर के आज्ञापालक है।

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