| 41. | जप ऐसा करें कि आपकी जिव्हा हिले लेकिन ओष्ठ नहीं हिले या फिर मानसिक जप करें।
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| 42. | 3 - और भी गम्भीर स्थिति तब है जवकि आपकी योनि के ओष्ठ खुले हुये हैं।
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| 43. | बिम्बाधराणाम् - बिम्ब फ़ल के समान ( लाल ) ओष्ठ वाली स्त्री को बिम्बाधरा कहते हैं।
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| 44. | निचले ओष्ठ को नीच को खींचनेवाली अधरोष्ठवनमनी ( depressor labii inferioris) और सृक्कावनमनी (depressor anguli oris) पेशियाँ हैं।
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| 45. | काच की छिछली धारा एक ओष्ठ के ऊपर से बहकर दो बेलनों के मध्य से गुजरती है।
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| 46. | काच की छिछली धारा एक ओष्ठ के ऊपर से बहकर दो बेलनों के मध्य से गुजरती है।
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| 47. | ओष्ठ और हृदय से निकलनेवाले अक्षर , उष्मा और अंत : स्थवर्ण आपके ही स्वरुप है .
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| 48. | और अन्दर की ओर चिकना व माँसल भाग होता है जिसे बडा ओष्ठ या libia majora कहते हैं।
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| 49. | व्याधपतंग के निंफ का ओष्ठ ( Labium) अन्य कीटों के पकड़ने के लिए विशेष आकृति का बन जाता है।
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| 50. | जबकि देवनागरी के वर्ण उच्चारण स्थान के अनुसार सजे हुए हैं जैसे- कंठ , तालु, मूर्धा, दन्त, ओष्ठ आदि।
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