गोलियाँ दनदनाती रहीं; हर विराम के बाद राइफ़लों की गड़गड़ाहट , मशीनगन की खड़-खड़-खड़, पृथ्वी को कम्पायमान करता गर्जन, आकाश को फाड़ते और बिजली के तारों पर बैठे परिन्दों को डराते हुए धमाके ।
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पीओटीएस टेलीफोन प्रणाली में ऐसा करने के लिए रिंगिंग करेंट भेजा जाता है , जो लगभग 100 वोल्ट का कम्पायमान डीसी करेंट [संयुक्त राज्य अमेरिका में 90 वोल्ट एसी तथा 20 हर्ट्ज़] होता है.
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अपने इस अपमान पर स्वयं शिव ने तो कोई ध्यान नहीं दिया , किन्तु उनके शरीर से उसी समय क्रोध से कम्पायमान और विशाल दण्डधारी एक प्रचण्डकाय काया प्रकट हुई और वह ब्रह्मा का संहार करने के लिये आगे बढ़ आयी।
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अब यदि वह अपनी बहन के अपमान का बदला नहीं लेता है तो संसार क्या कहेगा ? दिग्विजयी रावण जिससे देवता भी कांपते हैं, जिसकी एक हुंकार से दसों दिशाएँ कम्पायमान हो जाती हैं वह कैसे चुप बैठा रह सकता है?
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जब तक सूरज चाँद रहेगा - चंदर तेरा नाम रहेगा ! !! गगन गुंजायमा न. .. धरती कम्पायमान कर देने वाली वो जय जय कार आज भी प्रातः कालीन हल्की हल्की ठण्ड जैसे पूरे शरीर में और चित्त में सरसरी कर रही है .
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मुझे नही पता था कि ' हल्दी-घाटी ' और श्रद्धेय स्वर्गीय श्याम नारायण पांडेय जी के शब्दों में आज भी इतना ओज और तेज भरा हैकि कापुरुषों के हृदय इस तरह कम्पायमान हो जायेंगे कि उन्हें संख्या बल का सहारा ले इतना हल्ला-हंगामा मचाना पड़े .
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मैं तो एक लड़की हूँ , पराया धन … एक न एक दिन मुझे आपसे विदा लेनी ही थी - अगर मम्मी , मोनू को कुछ हो जाता तो आपके बुढ़ापे का सहारा कौन होता ? … ” कहते-कहते वह शान्त हो गई और निस्तब्ध वातावरण को एक माँ की चीख ने कम्पायमान कर दिया।
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हे राजेन्द्र ! आप अपनी दक्षता से छल कपट से युक्त ‘ अयज्वा ' ' अव्रती ' दस्युयों को कम्पायमान करें , जो प्रत्येक वस्तु का उपभोग केवल स्वयं के लिए ही करते हैं , उन दुष्टों को दूर करें | हे मनुष्यों के रक्षक ! आप उपद्रव , अशांति फैलानेवाले दस्युओं के नगर को नष्ट करें और सत्यवादी सरल प्रकृति जनों की रक्षा करें |
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नंदा देवी इस बात कि कोई चिंता नही थी कि भीहड़ रास्तों मे अकस्मात आने वाले खतरों से उसके गण रक्षा करते थे साथ ही बाजे घाजे के साथ एव सप्त बयार कि आवाज जब होती मीलो दूर के पशु - पक्षी व हिंसक प्राणी भी भयभीत हो जाते ! काल भैरव से साथ रानी का डोला जब जलता था धरती कम्पायमान हो जाती थी !
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- मैं अपने स्वभाव को भूल गया हूँ इसीलिए चारों ओर पृथ्वी दस्युओं से परिपूर्ण , अधर्म से आवृत , दीनों के करुण-क्रंदन से कम्पायमान , असहायों की विवशताभरी चीत्कार से गुंजित हो कातर दृष्टि से निहार रही है | विष्णु की प्रबल गदा मेरे हाथ का आयुद्ध बनकर इन दुष्टों का मस्तक विदीर्ण करे | तब मैं माँ दुर्गा को शोणित , मांस और मज्जा का रुचिकर भोग लगाऊं ; - भगवान रूद्र के गले को रुंड-मालाओं से सजाऊं |