| 41. | अब किसी और ग़म का हौसला नहीं है
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| 42. | आज कोई नहीं अपना , किसे ग़म ये सुनाएं
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| 43. | जब हमारे क़हक़हों की गूंज सुनते होंगे ग़म
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| 44. | एक ख़ुशी और ग़म की मिलाजुला असर .
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| 45. | जब तेरा ग़म जगा लिया , रात मचल-मचल गई
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| 46. | जो मेरे ग़म के साथी हैं - २
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| 47. | जब तलक चाहत रही , ग़म हमेशा बढ़ते रहे,
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| 48. | जब तलक चाहत रही , ग़म हमेशा बढ़ते रहे,
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| 49. | ग़म का फ़साना सुनने वालो आख़िर-ए-शब आराम करो
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| 50. | ज़ालिम की मेहर तो देखो , देती है ग़म
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