जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि स्कन्दगुप्त के शासन काल में भारी वर्षा के कारण सुदर्शन झील का बाँध टूट गया था उसने दो माह के भीतर अतुल धन का व्यय करके पत्थरों की जड़ाई द्वारा उस झील के बाँध का पुनर्निर्माण करवा दिया ।
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जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि स्कन्दगुप्त के शासन काल में भारी वर्षा के कारण सुदर्शन झील का बाँध टूट गया था उसने दो माह के भीतर अतुल धन का व्यय करके पत्थरों की जड़ाई द्वारा उस झील के बाँध का पुनर्निर्माण करवा दिया ।
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जूनागढ़ अभिलेख से पता चलता है कि स्कन्दगुप्त के शासन काल में भारी वर्षा के कारण सुदर्शन झील का बाँध टूट गया था उसने दो माह के भीतर अतुल धन का व्यय करके पत्थरों की जड़ाई द्वारा उस झील के बाँध का पुनर्निर्माण करवा दिया ।
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हवा महल , जयगढ़ और बहुमूल्यवान रंगीन पत्थरों की जड़ाई की अपनी विरासत के लिए विश्वभर में विखयात जयपुर के मुखय मार्गों और मुखय भवनों को रंग बिरंगे बल्बाों से सजाया गया है वहीं दूसरी ओर पुलियाओं को राजस्थानी चित्रकारी एवं मांडणे से चमकाया और संवारा गया है।
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उसकी आवज आवश्यकतानुसार कभी ऊँची हो जाती है और कभी मद्धिम , मगर जब वह किसी लड़ाई और उसकी तैयारियों का जिक्र करने लगता है तो शब्दों का प्रवाह, उसके हाथों और भावों के इशारे, ढोल की मर्दाना लय उन पर वीरतापूर्ण शब्दों का चुस्ती से बैठना, जो जड़ाई की कविताओं ही की अपनी एक विशेषता है, यह सब चीजें मिलकर सुनने वालों के दिलों में मर्दाना जोश की एक उमंग सी पैदा कर देती हैं।
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उसकी आवज आवश्यकतानुसार कभी ऊँची हो जाती है और कभी मद्धिम , मगर जब वह किसी लड़ाई और उसकी तैयारियों का जिक्र करने लगता है तो शब्दों का प्रवाह , उसके हाथों और भावों के इशारे , ढोल की मर्दाना लय उन पर वीरतापूर्ण शब्दों का चुस्ती से बैठना , जो जड़ाई की कविताओं ही की अपनी एक विशेषता है , यह सब चीजें मिलकर सुनने वालों के दिलों में मर्दाना जोश की एक उमंग सी पैदा कर देती हैं।