| 41. | ज़र्द पत्ते तो सदा खुद ही गिरा करते हैं
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| 42. | ज़र्द सा चेहरा लिए , चाँद उफ़क तक पहुंचे ।
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| 43. | पर्दे पड़े हों ज़र्द सुनहरी मकान हों।
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| 44. | निशाँ ज़र्द चेहरों पे अश्कों के थे
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| 45. | टँकी ज़र्द गोटे की जिस पर कतार॥
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| 46. | सुर्ख और ज़र्द लम्हों की कश्मकश ने
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| 47. | रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल
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| 48. | रोज़े की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल
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| 49. | वह अंगिया जो थी ज़र्द और जालदार।
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| 50. | पोशाकें तन में ज़र्द , सुनहरी सफेद लाल
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