अर्थात् पर्यावरण के बढ़ते विस्तार को देखते हुए इसे सर्वव्यापी मानना ज्यादा सार्थक होगा क्योंकि अब यह जलमंडल , जीवमंडल और वायुमंडल की सीमा को पार करती हुई अंतरिक्ष यानी ब्रह्माण्ड मंडल में पहुँच गई है।
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उल्लेखनीय है कि 6 नवम्बर 1982 में फूलों की घाटी को नन्दादेवी बायोस्फेयर रिजर्व ( नन्दादेची जीवमंडल विशेष क्षेत्र) घोषित किया गया था और तभी से इस क्षेत्र मे पशुओं के चुगान तथा प्रवेश को प्रतिबंधित भी कर दिया गया था।
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उल्लेखनीय है कि 6 नवम्बर 1982 में फूलों की घाटी को नन्दादेवी बायोस्फेयर रिजर्व ( नन्दादेची जीवमंडल विशेष क्षेत्र ) घोषित किया गया था और तभी से इस क्षेत्र मे पशुओं के चुगान तथा प्रवेश को प्रतिबंधित भी कर दिया गया था।
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जो कभी मैसूर के महाराजा के निजी खेल के लिये आरक्षित क्षेत्र था , यह बड़ा भाग या जंगल (८७४वर्गकिमी) कबीनीनदी का दक्षिणी भाग अब नीलगिरि के जीवमंडल का आरक्षित क्षेत्र है और डब्ल्यूडब्ल्यूएफएस (वर्ल्ड वाइड फंड फोर नेचर) की एक योजना प्रोजक्ट टायगर का स्थल है।
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कक्षा में पृथ्वी विज्ञान के अध्ययन के लिए वर्तमान में एक दर्जन से अधिक नौकाओं अंतरिक्ष नासा का मालिक है और अगले कुछ वर्षों में नौकाओं अंतरिक्ष प्रक्षेपण करने के लिए कई योजनाओं के साथ पृथ्वी प्रणाली ( महासागरों और पृथ्वी और वातावरण और जीवमंडल , क्रायोस्फ़ेयर के अलावा ) , के सभी पहलुओं का अध्ययन .
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धर्म या अध् यात् म के किसी भी तत् व पर बल दिए बिना केदारनाथ सिंह की कविता में नदी अपने पूरे सामाजिक - जीवमंडल के साथ मौजूद है कीचड़ सिवार और जलकुम्भियों से भरी वह इसी तरह बह रही है पिछले कई सौ सालों से एक नाम की तलाश में मेरे गांव की नदी ( बिना नाम की नदी )
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जीवमंडल में जितने भी जीव - जन्तु विद्यमान हैं चाहे जल में मछलियां , मरुस्थल में ऊंट और बकरी , पर्वतीय और मैदानी भागों में गाय , भैंस आदि तथा पेड़ों पर पक्षी और कीट पतंगे , अथवा मिट्टी के अन्दर रहने वाले सांप और चूहे , सब का जीवन एक दूसरे पर निर्भर है और मनुष्य का इन सब पर।
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तब से , पृथ्वी के जीवमंडल ने ग्रह पर पर्यावरण (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को बदल दिया है ताकि वायुजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण, साथ ही साथ ओजोन परत (ozone layer) के निर्माण को रोका जा सके जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोक कर जमीन पर जीवन की अनुमति देता है.
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तब से , पृथ्वी के जीवमंडल ( मानव सहित ) ने ग्रह पर पर्यावरण और अन्य अजैवकीय ( जड़ , प्राकृतिक ) परिस्थितियों को बदल दिया है ताकि वायुजीवी जीवों ( एरोबिक लाइफ ) के प्रसारण , साथ ही साथ ओजोन परत ( ओजोन लेयर ) के छरण को रोका जा सके जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र ( मेग्नेटिक -फील्ड ) के साथ हानिकारक विकिरण को रोक कर जमीन पर जीवन की अनुमति देता है।
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कार्बन-डाइऑक्साइड की कमी हो जाने के कारण वनस्पतियों का प्रकाश संश्लेषण भंग हो जाएगा , उनका विनाश हो जाएगा और उनके बिना सभी जीव-जंतु भी नष्ट हो जाएंगे | वैज्ञानिक के मत में , यह सारा घटना-क्रम एक अरब वर्ष तक चलेगा | इसके बाद के एक अरब वर्ष तक जीवमंडल में केवल जीवाणु बचे रहेंगे , जिनका वास महासागरों के गरम , अति-लवणीय जल में और गुफाओं में होगा | अंततः सभी जलाशय भी पूरी तरह सूख जाएंगे |