प्रतीकात्मक रुप से इसलिए सन्दर्भ रख रहा हूँ क्योंकि इससे मेरे कुछ विभागीय लोगो को बदहजमी हो सकती है और वें अपना नज़ला मुझ पर उतार सकतें है क्योंकि मै विभाग की सबसे कमजोर ईकाई हूँ मतलब तदर्थ असि . प्रोफेसर।
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' ' ब्लॉग जगत के और बेशक मेरे भी प्रिय अजय झा भैया और ज्येष्ठ भ्राता खुशदीप जी तो भावातिरेक में सीधा डांटना शुरू कर देंगे कह के कि '' ओए लडके अब पिटेगा तू , अबे नज़ला , जुखाम , खांसी ..
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उसने जवाब दिया हाँ ! ख़ुदा की क़सम मेरी माँ उम्मे अमारा बिन्ते इबादा बिन नज़ला बिन मालिक बिन अजलाने साइदी ने मुझसे नक़्ल किया है कि मैं कुछ अरब औरतों के साथ बैठी हुई थी कि अबूतालिब ग़मगीन हालत में हमारे पास आये।
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उन्होंने एक यंत्र Zapper का अविष्कार भी किया है , जिसके द्वारा हरेक बीमारी के इलाज में मदद मिलती है और जिस तरह वह नज़ला खांसी में मदद देता है , ठीक वैसे ही वह कैंसर को भी बढ़ने से तुरंत ही रोक देता है।
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साँस उठना , नज़ला , गले व नाक-कान की बीमारियाँ , हृदय रोग , फेंफड़ों का खराब होना आदि अनेकानेक जानलेवा रोगों से शहरों में रहनेवाले अधिकांश लोग पीड़ित रहने लगे हैं , जिनका कोई सही इलाज संभव नहीं होता या ये बीमारियाँ लाइलाज होती हैं।
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साँस उठना , नज़ला , गले व नाक-कान की बीमारियाँ , हृदय रोग , फेंफड़ों का खराब होना आदि अनेकानेक जानलेवा रोगों से शहरों में रहनेवाले अधिकांश लोग पीड़ित रहने लगे हैं , जिनका कोई सही इलाज संभव नहीं होता या ये बीमारियाँ लाइलाज होती हैं।
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ताकि तुम अपने रब के पास जाने का यक़ीन करलो . '' सूरह रअद १ ३ परा- १ ३ आयत ( १ - २ ) सबसे पहले क़ुरआन में नाज़िल का अर्थ जानें नाज़िल होने का सही अर्थ है प्रकृति की और से प्रकोपित ( न कि उपहारित ) नाज़िला ( बला ) होना , यानी क़ुरआन अल्लाह की तरफ से एक बला है , एक नज़ला है .
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अगर कोई मुसलमान दुआएं पढ़ता रहे , मुस्तहेब काम करता रहे , अपनी दीनी ज़िम्मेदारियां अन्जाम देता रहे लेकिन गुनाहों से दूर न हो , वह उस इन्सान जैसा है जिसे सख़्त बुख़ार या नज़ला हो और वह उसके लिये बहुत अच्छी दवाइयां भी ले रहा हो लेकिन साथ ही वह चीज़ें भी खा रहा हो जिनसे नज़ला बढ़ता है , ऐसे इन्सान को दवाइयों का कोई फ़ायदा नहीं होगा।
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अगर कोई मुसलमान दुआएं पढ़ता रहे , मुस्तहेब काम करता रहे , अपनी दीनी ज़िम्मेदारियां अन्जाम देता रहे लेकिन गुनाहों से दूर न हो , वह उस इन्सान जैसा है जिसे सख़्त बुख़ार या नज़ला हो और वह उसके लिये बहुत अच्छी दवाइयां भी ले रहा हो लेकिन साथ ही वह चीज़ें भी खा रहा हो जिनसे नज़ला बढ़ता है , ऐसे इन्सान को दवाइयों का कोई फ़ायदा नहीं होगा।
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शरीर में जल की मात्रा अधिक अथवा कम होने से अनेक प्रकार के रोग होते हैं जैसे - सर्दी , ज़ुकाम , नज़ला , खाँसी , निमोनिया , ब्रोन् काईटिस इत् यादि जिसके कारण शरीर में सूजन आती है , कार्य करने में अरुचि , खाने पीने का मन नहीं होता , सुस् ती छाई रहती है , अधिक नींद का आना इत् यादि कफ प्रदत्त रोग के लक्षण हैं।