सात अप्रैल , 2010 को जिस हत्याकांड का फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश ने समाज के चरित्र पर धब्बा और दुर्लभतम हत्याकांड बताया था, उसी हत्याकांड के मामले में उच्च न्यायालय पहुंचते-पहुंचते साक्ष्य इतने कमजोर पड़ गए कि न्यायालय को सभी आरोपितों को बरी करना पड़ा.
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सात अप्रैल , 2010 को जिस हत्याकांड का फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश ने समाज के चरित्र पर धब्बा और दुर्लभतम हत्याकांड बताया था , उसी हत्याकांड के मामले में उच्च न्यायालय पहुंचते-पहुंचते साक्ष्य इतने कमजोर पड़ गए कि न्यायालय को सभी आरोपितों को बरी करना पड़ा .
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सात अप्रैल , 2010 को जिस हत्याकांड का फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश ने समाज के चरित्र पर धब्बा और दुर्लभतम हत्याकांड बताया था , उसी हत्याकांड के मामले में उच्च न्यायालय पहुंचते-पहुंचते साक्ष्य इतने कमजोर पड़ गए कि न्यायालय को सभी आरोपितों को बरी करना पड़ा .
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हम कोई बहाने नहीं बनाना चाहते , न हाम्सुन को बरी करना चाहते हैं- ऐसा करने से हाम्सुन में सत्तावाद के चिह्न ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं, वह प्रकृति की दुर्बोध सम्मोहकता को लक्ष्य करते हैं - किसी चरित्र द्वारा सरल जीवन की ऐसी परिकल्पना में जो समकालीन जीवन की धन-लोलुपता और आपाधापी से बहुत परे हो.
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लेकिन अपने कुकृत्यों से बरी नहीं होता , न ही कवि उसे सजग हो , इतिहासिक प्रक्रिया में बरी करना चाहता है -कोई भी क्रूर विचार जो अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए या बचाए रखने के लिए नरमेध जैसा पुरोहितवादी कर्मकांड का जारी रखते हुए , सम्पूर्ण सभ्यता को कठिनाई में डाल देता है .....
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मुजरिम से पैसे ले कर बरी करना पड़ता है जिस पर मुदई भड़क उठते है और बडी अदालत में चले जाते हैं जिस पर नीचे की अदालत के जजों को जवाब देना पड़ता है और अगर मुदई पार्टी से पैसा लिया जायेगा तो कोई मुजरिम की नहीं सुनेगा और पैसा खाने वाले आराम से हजम कर सकेंगे .
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उन्हें बरी कर दिया गया , पर इतिहास गवाह है की नेताजी के दायें हाथ मेजर जनरल शाहनवाज़ व कर्नल गुरबक्ष सिंह ढिल्लन और कर्नल प्रेमकुमार सहगल पर लाल किले में देशद्रोह के आरोप में मुकदमे चले जिसमें पण्डित जवाहर लाल नेहरू, भूलाभाई देसाई और कैलाशनाथ काटजू जैसे दिग्गज वकीलों की दलीलों के चलते तीनों जांबाजों को बरी करना पडा।
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वीर सावरकर के नाम पर गाँधी हत्याकांड और तथाकथित मर्सी पेटिशन्स के चलते सेक्युलरिस्ट्स ने काफ़ी कीचड़ उछाला और गाँधी हत्याकांड में आरोपों को चलते उन्हें जेल में रहना पड़ा , किंतु इतनी मुश्क़िलों के बाद भी वे नही झुके और उनका देशप्रेम का जज़्बा बरकरार रहा और अदालत को उन्हें तमाम आरोपों से मुक्त कर बरी करना पड़ा.
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बीकानेर पूर्व के संभावित कांग्रेसी उम्मीदवार और विधानसभा में सर्वाधिक पांच बार क्षेत्र की नुमाईंदगी कर चुके डॉ . बुलाकी दास कल्ला को तो बरी करना उनके प्रति अतिरिक्त उदारता बरतना होगा और आगामी चुनावों में यदि तकनीकी विश् वविद्यालय चुनावी मुद्दा बनता है तो संभावित उम्मीदवार होने के नाते आगाह ना करें तो उन्हें नुकसान भी हो सकता है।
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श्री खान ने आज भारतीय जनता पार्टी के सांसद श्री वरूण गांधी पर मा 0 न्यायालय द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने पर मा 0 न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि जहां एक ओर समाजवादी पार्टी वरूण गांधी को हर तरह के मुकदमें से बरी करना चाहती थी वहीं मा 0 न्यायालय का यह फैसला राज्य सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा करता है।