खनिज रत्नों में मुख्यतः निम्न तत्वों का संयोग होता है- कार्बन , अल्यूमीनियम, बेरियम, बेरिलियम, कैल्शियम, ताम्बा, हाइड्रोजन, लोहा, फासफोरस, मैंगनीज, पोटेशियम, गंधक, सोडियम, टिन, जस्ता, जिर्केनियम आदि।
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इस पुस्तक में धातुकर्म - सोना , चांदी, लोहा, तांबा, मैंगनीज, टिन, पारा, एल्युमिनियम, लीथियम, बेरिलियम, सीसा, मैग्नेशियम, प्लैटेनियम तथा यूरेनियम के बारे में विस्तार से बताया गया है।
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इन्हें जलाने से पारा , बेरियम, कैडमियम, शीशा व बेरिलियम जैसे दर्जनों तत्व व गैसें निकलती हैं जो पर्यावरण के साथ मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है।
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ऐल्यूमिनियम की भाँति बेरिलियम को वायु में गर्म करने पर , उसकी सतह पर ऑक्साइड की पतली परत जम जाती है , जो ऑक्सीजन के अधिक आक्रमण को रोकती है।
बेरिलियम का केवल एक स्थिर समस्थानिक पाया गया है , जिसकी द्रव्यमान संख्या 9 है , परंतु द्रव्यमान संख्या 7 , 8 और 10 वाले अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधियों से निर्मित हुए हैं।
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क्षारीय पार्थिव धातु रासायनिक तत्त्वों की एक शृंखला होती है , जो आवर्त सारणी के समूह-२ में बेरिलियम (Be), मैग्नेशियम (Mg), कैल्शियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba) एवं रेडियम (Ra) से मिलकर बनते हैं।
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उदाहरण स्वरूप साइक्लोट्रॉन से प्राप्त उच्च ऊर्जा के ड्यूट्रॉन बेरिलियम ( 4Be2) टार्गेट की ओर फेंके जाते हैं जिससे बोरॉन (5B10) नाभिकों एवं न्यूट्रॉनों का निर्माण होता है और साथ ही ऊर्जा (Q) भी प्राप्त होती है।
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ग्रेनाइट ( granite) के साथ क्रिया करनेवाले पदार्थां में जल के अतिरिक्त क्लोरीन, बोरॉन, क्षारीय धातुओं (लीथियम तथा बेरिलियम सम्मिलित हैं) के यौगिक तथा वंग, ताँबा, जस्ता, सीसा, टंग्सटन, मोलिब्डेनम और यूरेनियम जैसे विशिष्ट धातुसमूहों के यौगिकों का समावेश है।
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साधारणत : ऐलुमिनियम, बेरिलियम, कैल्सियम, लीथियम, मैग्नीशियम तथा सोडियम के लवणों के निर्जलीय गलन की, और ताँबा, कैडमियम, कोबाल्ट, मैंगनीज़, निकेल, ज़िंक आदि के लगणों के जलीय विलयन की वैद्युत प्राप्ति विधि से ये धातुएँ व्यापारिक पैमाने पर प्राप्त की जाती है।