| 41. | भाँग खाय बौराय के , खेलें सन्त-महन्त ।
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| 42. | दिन भर भाँग पीसता तथा रात को सो जाता।
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| 43. | भाँग की खली की तरी बनती है।
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| 44. | जी नहीं मैनें भाँग नहीं पी है .
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| 45. | विजया यानी भाँग यहाँ खरपतवार की तरह उगती है।
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| 46. | कोई भाँग का अंटा लगा लेते हैं।
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| 47. | लहलहाती भाँग , भाटिन... गाँव में भैया, भाभियाँ...
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| 48. | भाँग माँगें मीठा , चरस माँगे घी
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| 49. | तो . .. इस कुँये में भाँग ही पड़ी समझो ।
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| 50. | भूँजी भाँग नहीं घर भीतर , का पहिनी का खाई।
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