| 41. | वे पंडित शर्मा को मत्त जी कहते रहे हैं।
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| 42. | महुए से मत्त हुए , कोई रंग जाये बसंती शाम,
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| 43. | रूपेण मत्त : प्रद्युम्न: सोऽसहायोऽस्मि नारद ॥7॥
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| 44. | ‘‘ श्रीराम मत्त हमारा उन दिनों का प्रचलित नाम है।
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| 45. | जैसे मत्त मातंग को केसरी देखे।
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| 46. | ( मत्त की भांति चेष्टा करता है ) ह. :
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| 47. | मत्त जी जितने सादे थे उतने ही गम्भीर सुकवि थे।
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| 48. | मत्त जी का संक्षिप् त परिचय-
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| 49. | स्वप्न-रथ पर मत्त जा रही है।
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| 50. | मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि ॥७- १२॥
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