| 41. | बलराम गुमास्ता की कविताएं मर्म को छूती हैं।
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| 42. | इस मर्म को भी गीतकारों को समझना होगा।
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| 43. | को पढ़कर ही समीक्षा का मर्म समझ लेंगे।
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| 44. | मुफ़लिस के गले में पड़ी रस्सी का मर्म
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| 45. | यह मर्म , रंग का घर प्रतीत होता है.
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| 46. | उपदेश दिव्य है आधिदैविक मर्म जाने भक्त ही ,
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| 47. | भूख स्वाद की कुतर्की में मर्म नहिं है।
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| 48. | जानत बांके मर्म को संत कोई शूरवीर ! !
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| 49. | का मर्म भी समझ में आ जाता है।
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| 50. | मध्यस्थी के मर्म में , घोंपे चाक़ू झूम |
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