हत्या की कोटि में न आने वाला मानव वध जब मृत्यु कारित करने के इरादे या ऐसी उपहति कारित करने के इरादे से किया जाता है , जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु का होना सम्भाव्य है तो ऐसा अपराध धारा 304 भा0 द0 सं0 के प्रथम भाग के अंतर्गत दण्डनीय हो जाता है।
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' ' अपराधिक मानव वध हत्या नहीं है यदि अपराधी उस समय जबकि वह गंभीर व् अचानक प्रकोपन से आत्म-संयम की शक्ति से वंचित हो , उस व्यक्ति की जिसने कि वह प्रकोपन दिया था , मृत्यु कारित करे या किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु भूल या दुर्घटना वश कारित करे .
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उभय पक्ष को सुनने के पष्चात तथा वर्तमान प्रकरण की सम्पूर्ण परिस्थितियों के दृश्टिगत यह स्पश्ट है कि अभियुक्तगण ने हत्या की कोटि मे न आने वाला आपराधिक मानव वध किया है और अभियुक्तगण को यह पूर्ण ज्ञान था कि जो कार्य वह कर रहे हैं उससे मृतक की मृत्यु हो सकती है।
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धारा-308 भा . द. सं. के अपराध के लिए मात्र यह साबित होना आवश्यक होता है कि चोट इस आशय या इस ज्ञान और ऐसी परिस्थितियों में पहुंचायी जाये कि यदि उक्त चोट से चोटहिल की मृत्यु हो जाती तो चोट पहुंचाने वाला व्यक्ति हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी होता।
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निश्कर्शः-12-अभियोजन का कथन है कि अभियुक्तगण ने अपने सामान्य आषय को अग्रसारित करते हुये दिनॉक 29 . 8.2007 को समय अपरान्ह करीब 6 बजे से 8.45 बजे के बीच थाना घनसाली, जिला टिहरी गढवाल मे स्थित अदवानगॉव मे अवतार सिह की मृत्यु कारित कर हत्या की कोटी मे न आने वाला आपराधिक मानव वध का अपराध किया है।
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ज्ञात हो कि वर्ष १९५५ के पूर्व मानव वध के लिए मृत्युदंड दिया जाना सामान्य नियम था एवं आजीवन कारावास दिए जाने पर उसका कारण दर्ज़ करना आवश्यक होता था जबकि १९५५ में किए गए संशोधन के पश्चात स्थिति ठीक विपरीत हो गई तथा मृत्युदंड की सज़ा सुनाते समय इसके कारणों का उल्लेख करना अपरिहार्य बना दिया गया ।
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न्यायाधीश ने लिखा कि वादी व गवाह भले ही सगी भाभी व भतीजियों व भतीजों के हित में सगी मां के सदोष मानव वध का गम भूल गये हों व पक्षद्रोही हो गये हों लेकिन न्यायालय जन्म देने वाली मां के प्रति इतना जघन्य सामाजिक अपराध करने वालों के प्रति कोई नरमी नहीं बरत सकता तथा ऐसे व्यक्ति को माकूल सजा दे दी।
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अब विचारण हेतु यह प्रश्न है कि क्या दिनांकः29-5-08 . को समय-11ः00बजे रात्रि, स्थान ग्राम-मनिहार गोठ टनकपुर, थाना-टनकपुर, जिला-चम्पावत में अभियुक्त ने वादी शाहिद हुसैन के भाई वाजिद हुसैन की हत्या करने के उद्देश्य से चाकू से सीने में वार किया और यदि अभियुक्त के इस कृत्य से वादी शाहिद हुसैन के भाई वाजिद हुसैन की मृत्यु हो जाती, तो अभियुक्त मानव वध का दोषी होता।
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अभियुक्तगण द्वारा कोई सफाई साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया निश्कर्श 12-अभियुक्तगण सीता राम नेपाली एवं जनक बहादुर नेपाली पर आरोप है कि दिनॉक 31 . 8.09 को ग्राम कण्डियालगॉव पट्टी खास थाना नई टिहरी, जिला टिहरी गढवाल मे समय करीब 6.00 बजे षाम अभियुक्तगण ने अपने सामान्य आषय को अग्रसारित करते हुये परिवादी केषर सिह के भाई बिषन सिह को षारीरिक क्षति कारित करते हुये हत्या की कोटी ने न आने वाला आपराधिक मानव वध किया।
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इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह सिद्ध होता है कि गणेष सिंह को घटना में चोट आई थी परन्तु अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से यह कहीं भी सिद्ध नहीं होता है कि आरोपित घटना अभियुक्त द्वारा कारित की गई हो और अभियुक्त द्वारा उक्त आपराधिक कार्य ऐसी परिस्थितियों में किया गया कि यदि उसके उस कृत्य से चुटैल की मृत्यु हो जाती तो अभियुक्त हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोशी होता।