| 41. | रज बोले , तुम कया कह रहि हो।
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| 42. | श्रीगुरु चरन सरोज रज , निज मनु मुकुरु सुधारि।
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| 43. | जेहि रज मुनिपत्नी तरी , सो ढूंढत गजराज।
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| 44. | वर्णाश्रम अभिमान तजि , पद रज बंदहिजासु की।
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| 45. | मेरि बात सुनकर रज बहुत खुश हो गये।
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| 46. | सत्य , रज, तम इन तीनों गुणों से अतीत
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| 47. | सत्य , रज, तम इन तीनों गुणों से अतीत
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| 48. | शुक्र रज पहले दिन रात में कलल ।
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| 49. | यहां की रज अत्यन्त पावन एवं पवित्र है।
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| 50. | सत तम रज के रूप भाव से ,
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