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शब्दकोश > हिंदी शब्दकोश > "लाक्षा" अर्थ

लाक्षा का अर्थ

उदाहरण वाक्य
41.रात्री सूर्या च सावित्री ब्रह्मवादिन्य ईरिता : ॥ ८ ६ ॥ अर्थात्- घोषा , गोधा , विश्ववारा , अपाला , उपनिषद् , निषद् , ब्रह्मजाया ( जुहू ) , अगस्त्य की भगिनी , अदिति , इन्द्राणी और इन्द्र की माता , सरमा , रोमशा , उर्वशी , लोपामुद्रा और नदियाँ , यमी , शश्वती , श्री , लाक्षा , सार्पराज्ञी , वाक् , श्रद्धा , मेधा , दक्षिणा , रात्री और सूर्या- सावित्री आदि सभी ब्रह्मवादिनी हैं।

42.रात्री सूर्या च सावित्री ब्रह्मवादिन्य ईरिता : ॥ ८ ६ ॥ अर्थात्- घोषा , गोधा , विश्ववारा , अपाला , उपनिषद् , निषद् , ब्रह्मजाया ( जुहू ) , अगस्त्य की भगिनी , अदिति , इन्द्राणी और इन्द्र की माता , सरमा , रोमशा , उर्वशी , लोपामुद्रा और नदियाँ , यमी , शश्वती , श्री , लाक्षा , सार्पराज्ञी , वाक् , श्रद्धा , मेधा , दक्षिणा , रात्री और सूर्या- सावित्री आदि सभी ब्रह्मवादिनी हैं।

43.वह राज्यलक्ष्मी को प्राप्त कर लेता है॥ 19 ॥ गोरोचन , लाक्षा , कुङ्कुम , सिन्दूर , कपूर , घी ( अथवा दूध ) , चीनी और मधु- इन वस्तुओं को एकत्र करके इनसे विधिपूर्वक यन्त्र लिखकर जो विधिज्ञ पुरुष सदा उस यन्त्र को धारण करता है , वह शिव के तुल्य ( मोक्षरूप ) हो जाता है॥ 20 ॥ भौमवती अमावास्या की आधी रात में , जब चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हों , उस समय इस स्तोत्र को लिखकर जो इसका पाठ करता है , वह सम्पत्तिशाली होता है॥ 21 ॥

44.वह राज्यलक्ष्मी को प्राप्त कर लेता है॥ 19 ॥ गोरोचन , लाक्षा , कुङ्कुम , सिन्दूर , कपूर , घी ( अथवा दूध ) , चीनी और मधु- इन वस्तुओं को एकत्र करके इनसे विधिपूर्वक यन्त्र लिखकर जो विधिज्ञ पुरुष सदा उस यन्त्र को धारण करता है , वह शिव के तुल्य ( मोक्षरूप ) हो जाता है॥ 20 ॥ भौमवती अमावास्या की आधी रात में , जब चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हों , उस समय इस स्तोत्र को लिखकर जो इसका पाठ करता है , वह सम्पत्तिशाली होता है॥ 21 ॥

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