स्त्री विमर्श , दलित विमर्श , अल्पसंख्यकों की दारुण स्थिति और उन सब सन्दर्भों का वाम पंथ से नाता उनके वैचारिक तंत्र में जगह बनाता ज़रूर गया , लेकिन वह केवल यही दो चार गठरियां अपनी लाठी पर लटकाये चलने वाले राही नहीं थे .
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अपितु भारतीय वाम पंथ के विश्वाश को और उसकी राजनेतिक समझ को देशभक्तिपूर्ण सावित किया है अभी तक भारतीय मीडिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा और गैर वाम पंथी राजनीती के समर्थकों को एक वामपंथ पर आरोप लगाने का शगल था कि दुनिया बदल गई .
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सुमन जी , आप की प्रतिबद्धता वाम पंथ से है वह तो ठीक है लेकिन अपनी बात को सिद्ध करने के लिए असत्य , अर्धसत्य और प्रोपोगंडा का इस्तेमाल कहाँ तक जायज है | आज का समय सूचना का युग है , यहाँ हर जान कारी एक क्लिक पर उपलब्ध है |
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वाम की पराजय पर आपने घी के दिए तो जरुर जलाये होंगे ? वाम तो आपकी आँखों की किरकिरी “था सो अब आपके लिए मैदान साफ् है.केवल त्रिपुरा में ही तो शेष बचा है वाम पंथ बाकि तो “आंधी में उड़ गया.धुल गया,साफ हो गया”अब उम्मीद है की हिदुत्व के झंडावरदार अपने अश्वमेध का घोडा सरपट दौड़ा सकेंगे..
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श्रीमन इन बेईमानों पर क्यों अपना नीला घोड़ा दौड़ा रहे है ये सुधरने वाले नही राम के नाम मौज कर ली सत्त में इतने दिनों तक , मुझे अफ़सोस है कि कि दक्षिण पंथ और वाम पंथ दोनो जनता को बेवकूफ़ बनाकर अपना काम चला रहे है हमारे मुल्क मे असली सामाजिक सरोकारों से उनका कोई दिली वास्ता नही सिर्फ़ मुद्दे है उनके लिये ……… .
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वेशक पश्चिम बंगाल की जनता को हक है की वो जिसे चाहे सत्ता सौंप दे , किन्तु जब सम्पूर्ण यु पी ऐ + मीडिया + माओवादी + बंगाल के भूत पूर्व जमींदार + टाटा के विरोधी पूंजीपति + विकाश विरोधी + साम्प्रदायिक तत्व + दलाल वुद्धिजीवी = ममता हो जाये तो ३ ४ साल तक दूध का धुला वाम पंथ भी कोयले से काला नजर तो आना ही था .
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किन्तु भाजपा को केरल और बंगाल में खाता भी नहीं खुलने के वावजूद बजाय कांग्रेस और स्वयं भाजपा की रीति-नीति का विश्लेषण करने के सिर्फ वाम पंथ पर निरंतर हमले किये जा रहे है क्यों ? न केवल प्रेस , मीडिया बल्कि बंगाल में तो घरों में , दफ्तरों में , खेतों में तृणमूल कांग्रेसी गुंडे बेक़सूर लोगों को , मजदूरों को , किसानों को जिन्दा जला रहे हैं .
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यह अक्सर वाम पंथ की ओर से और धर्म निरपेक्षता की कतारों से आवाज आती है किन्तु वास्तविक प्रमाण तो जग जाहिर हैं फिर विश्वशनीयता को दाव पर लगाना क्या हाराकिरी नहीं है ? छे ; -बाइबिल . कुरान ए शरीफ . और दीगर धर्म ग्रुन्थ पर किसी भी वाम चिन्तक या इतिहाश्कार ने कब और कहाँ नकारात्मक टिप्पणी की ? यदि भूले से भी कहीं कोई एक अल्फाज या कोई कार्टून बना तो उसकी दुर्गति जग जाहिर है .
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एक पत्रकार है पेशे से वैसे तो अजीब किरदार है होना नहीं चाहिये लेकिन इसका अपना एक विचार है वो हर घटना को विचार की तरह पढ़ता है फिर पढ़े जाने के हिसाब से घटना और घटना के हिसाब से विचार मे ( एक जरूरी सूचना- आज भी सबसे बड़े विचार दक्षिण और वाम पंथ ही हैं ज्ञात अज्ञात टी आर पी के आजू बाजू ) सनसनाता है दारू पैसा मुर्गा मुर्गा दारू पैसा किसी पगलाई नींद सा बड़बड़ाता सुबह होने के पहले ही मैनेज हो जाता है।
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एक पत्रकार है पेशे से वैसे तो अजीब किरदार है होना नहीं चाहिये लेकिन इसका अपना एक विचार है वो हर घटना को विचार की तरह पढ़ता है फिर पढ़े जाने के हिसाब से घटना और घटना के हिसाब से विचार मे ( एक जरूरी सूचना- आज भी सबसे बड़े विचार दक्षिण और वाम पंथ ही हैं ज्ञात अज्ञात टी आर पी के आजू बाजू ) सनसनाता है दारू पैसा मुर्गा मुर्गा दारू पैसा किसी पगलाई नींद सा बड़बड़ाता सुबह होने के पहले ही मैनेज हो जाता है।