| 41. | रुकमिणी- तो मैं ही विष की गांठ हूं।
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| 42. | ना बोएंगे विष ना कमजोर का हक छीनेंगे
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| 43. | दाख छुहारा छांडि अमृत फल विषकीरा विष खात॥
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| 44. | उसके विष का गुणधर्म वैसा ही था ।
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| 45. | विष का प्याला पी कर शिवजी नीलकंठ कहलाए।
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| 46. | अपने नैसर्गिक अधिकार का विष वमन करता रहा।
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| 47. | अमृत के साथ विष की कड़वाहट भी है।
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| 48. | विषैले साँपों के विष एक से नहीं होते।
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| 49. | पशु चिकित्सा औषध विज्ञान और विष विज्ञा न .
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| 50. | चन्दन विष व्यापत नहीं , लिपटे रहत भुजंग ।।
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