तरुन भाई मे जर्मनी से ही हु , मेने तो यहा ऎसा कोई हगंमा नही देखा, यह सब बाते इन गोरो के लिये नोर्मल हे, भाई आप टेंशन मत ले, अभी गर्मिया शुरु होने दो फ़िर सभी तरफ़ नगं धडंग ही नजर आये गे , *जिसे आधी से ज्यादा जर्मन जनता पचा नही पा रही है * यह आप को किस ने बोल दिया यह सब, अरे यह लोगो के पास भी समय नही सब को अपनी अपनी पढी हे,जर्मन के बारे ज्यादा जान्कारी चाहिये तो मुझे e mail कर ले.
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अभी हाल ही में लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट आई तब सभी तरफ़ चीख पुकार मच गई की हमने नही किया कुछ उन्हूने किया आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया यानि फ़िर एकता का हनन हुआ संसद जसी पवित्र जगह पर लोग आपस में लादे लेकिन क्या हुआ , तभी आगई २ ६ / ११ की पहली बरसी सभी लोग उसपर बयान बाज़ी करने लगे और भूल गए फ़िर १ ९९ २ के उस भारतीय एकता को डसने वाले दंश को जिसका दर्द आज तक यह भारत माँ नही भूली है ।