जबकि हूस्टन क्रॉनिकल के ऐन्न होड्ज्स ने इसे “नया महत्वाकांक्षी सेनफ़ेल्ड , पर जो कभी सेनफ़ेल्ड की तरह हास्यजनक नहीं हो सकता” कहा. लॉस एंजलीस दैनिक समाचार में रे रिचमंड ने इस श्रृंखला को “नए सीज़न का उज्जवल कॉमडी” नाम दिया, और लॉस एंजलीस टाइम्स द्वारा इसे “खुले दिल से सीज़न की सबसे अच्छी कॉमेडी श्रृंखला” कहा.
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[ 39] जबकि हूस्टन क्रॉनिकल के ऐन्न होड्ज्स ने इसे “नया महत्वाकांक्षी सेनफ़ेल्ड , पर जो कभी सेनफ़ेल्ड की तरह हास्यजनक नहीं हो सकता” कहा.[40] लॉस एंजलीस दैनिक समाचार में रे रिचमंड ने इस श्रृंखला को “नए सीज़न का उज्जवल कॉमडी” नाम दिया,[41] और लॉस एंजलीस टाइम्स द्वारा इसे “खुले दिल से सीज़न की सबसे अच्छी कॉमेडी श्रृंखला” कहा.[42]
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वह मनुष्य की चेतना में स्वयं अपने रूप में नहीं , अपितु वस्तुओं अथवा क्रियाओं के एक गुण के रूप में प्रवेश करती है ( इसी कारण हम कहते हैं : ‘ प्रिय आदमी ' , ‘ अप्रिय स्वाद ' , ‘ डरावना सांड ' , ‘ हास्यजनक मुद्रा ' , ‘ कोमल पत्तियां ' , ‘ सुखद सैर ' , वग़ैरह ) ।
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पर , यदि उनका यह ध्यान होता कि कभी ऐसा भी समय आएगा जब प्राय : ब्राह्मणमात्र धर्म के रक्षक न हो कर उसी के भक्षक हो जाएँगे , उनके लिए ' काला अक्षर भैंस बराबर ' वाली कहावत चरितार्थ होगी , उनके लिए सिर्फ बकव्रत रह जावेगा , तो क्या वे कभी भी यह हास्यजनक बातें लिख कर लज्जित होने का साहस करते ? वे तब क्योंकर लिखते कि जन्म से ही ब्राह्मण धर्म का रक्षक है , धर्म की मूर्ति है और धर्म के ही लिए संसार में आया है ?