| 1. | जयदेव ने ब्रह्मगुप्त द्वारा दी गयी अनिर्धार्य द्वि
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| 2. | कुट्टक - अनिर्धार्य समीकरण जिनका पूर्णांक हल निकालना होता था।
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| 3. | १८वें अध्याय , कुट्टक (बीजगणित) में आर्यभट्ट के रैखिक अनिर्धार्य समीकरण (
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| 4. | बीजगणित में समीकरण साधनों के नियमों का उल्लेख किया तथा अनिर्धार्य द्विघात समीकरण (
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| 5. | इस ग्रन्थ में भास्कराचार्य ने अनिर्धार्य द्विघात समीकरणों के हल की चक्रवाल विधि दी है।
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| 6. | ( बीजगणित के जिस प्रकरण में अनिर्धार्य समीकरणों का अध्ययन किया जाता है, उसका पुराना नाम ‘कुट्टक' है।
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| 7. | डायोफैंटस नामक यूनानी गणितज्ञ ने , जो संभवत: ईसा के पश्चात् तीसरी शताब्दी में रहा, बहुत से बहुपदीय अनिर्धार्य समीकरणों (
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| 8. | ( बीजगणित के जिस प्रकरण में अनिर्धार्य समीकरणों का अध्ययन किया जाता है , उसका पुराना नाम ‘ कुट्टक ' है।
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| 9. | के लिये यह एक रेखीय समिकरण बन जाता है तथा इसके मूलों के लिये नीचे दिये गये व्यंजक भी अनिर्धार्य ( इनडिटर्मिनेट) हो जाते हैं।
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| 10. | इन्होंने एक घातीय अनिर्धार्य समीकरण का पूर्णाकों में व्यापक हल दिया , जो आधुनिक पुस्तकों में इसी रूप में पाया जाता है, और अनिर्धार्य वर्ग समीकरण,
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