| 1. | गढारि अर्थात् गढ़ जो किला है उसके अरि ,
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| 2. | कर सके जिस तत्व से अरि का पराभव
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| 3. | उसके अरि वही हैं जो उसे नहीं मानते।
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| 4. | सो तममावृत अरि गुहा परि दुख लहै बनाय।
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| 5. | चरन चोट चटकन चकोट अरि उर सिर बज्जत।
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| 6. | ऊँ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।
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| 7. | क्यों पावत दुःख नर जगत , जाको कहे अरि कास.
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| 8. | फटकारि सेलहि उद्ध कौं , तकि अपनी अरि सुद्ध कौं।
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| 9. | गुन-नोति बल सों जीति अरि जिमि आपु जादवगन हयो।
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| 10. | अरि सन्मुख नहिं नवें फिरै चहें बन-बन भूखे ।।
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