| 1. | परमात्मतत्त्व है , जो अपरिवर्तन शील है, अविनाशी है।
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| 2. | उसकी मांग सभी को है , जो अविनाशी है।
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| 3. | व्यापक एक ब्रह्म अविनाशी , सतचेतन घन आनन्द राशि
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| 4. | हे अचल , अविनाशी भोले हे अचल, अविनाशी भोले
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| 5. | हे अचल , अविनाशी भोले हे अचल, अविनाशी भोले
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| 6. | हे अचल , अविनाशी भोले हे अचल, अविनाशी भोले
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| 7. | शिव स्वस्ति अविनाशी अनादि अमिय अक्षर शुभ महे ,
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| 8. | जो अविनाशी है , वह सत्य कहलाता है।
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| 9. | वह अविनाशी तो हृदय-सरोवर में ही विद्यमान है।
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| 10. | इसलिए यह भी वास्तव में अविनाशी नहीं है।
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