| 1. | बनाते हैं फ़िर उस पर जो आकार बनाना हो उस आकार का एक प्रकाश आच्छद (
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| 2. | जल की पहली बूँद नेजन्म दिया मनुष्य कोऔर रक्तिम आच्छद से हरित तने तकविस्तारित करता रहा समीरण।
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| 3. | इसके विपरीत ऋणात्मक प्रकाश रोधक पर प्रयुक्त आच्छद के विपरीत संरचना मिलती है अतः इसे ऋणात्मक कहा जाता है।
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| 4. | इसके विपरीत ऋणात्मक प्रकाश रोधक पर प्रयुक्त आच्छद के विपरीत संरचना मिलती है अतः इसे ऋणात्मक कहा जाता है।
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| 5. | धनात्मक प्रकाश रोधक की झिल्ली पर प्रयुक्त आच्छद जैसी ही संरचना मिलती है इसीलिये इसे धनात्मक कहा जाता है।
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| 6. | क्योंकि पताका पत्ती आच्छद में संलग्न कंशिकाएं लगभग 25-33 प्रतिशत होती हैं जो परागण के लिए अनुपलब्ध होती हैं।
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| 7. | धनात्मक प्रकाश रोधक की झिल्ली पर प्रयुक्त आच्छद जैसी ही संरचना मिलती है इसीलिये इसे धनात्मक कहा जाता है।
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| 8. | जल की पहली बूँद ने जन्म दिया मनुष्य को और रक्तिम आच्छद से हरित तने तक विस्तारित करता रहा समीरण।
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| 9. | जल की पहली बूँद ने जन्म दिया मनुष्य को और रक्तिम आच्छद से हरित तने तक विस्तारित करता रहा समीरण।
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| 10. | इस विधि में किसी प्रकार के आच्छद का प्रयोग न करके इलेक्ट्रॉन पुंज को ही संकेन्द्रित करके उसका उपयोग कलम की भाँति लिखने में किया जाता है।
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