| 1. | धर्म बिरोधी कर्म भ्रष्ट च्युत स्रुति सीढ़िनि के।
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| 2. | बताकर वे लेखकीय ईमानदारी से च्युत होते हैं . ..आदि-आदि।
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| 3. | हम अवश्य अपने स्थान से च्युत हो गये।
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| 4. | समाज की सब श्रेणियाँ च्युत हो जाएँ ,
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| 5. | भगवान राम राज्य से च्युत हो गए थे।
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| 6. | प्रजातांत्रिक मर्यादाओं से कभी वह च्युत नहीं हुए।
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| 7. | को अपने धर्म से च्युत न होने दे।
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| 8. | अर्थात जीव दो प्रकार के हैं- च्युत और अच्युत।
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| 9. | फिर अपने कर्तव्य से आप च्युत क्यों हों . .
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| 10. | गद्दीपर से उतारना , राजपद से च्युत करना, अधिकार छिनना
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