| 1. | यह जगत् शक्ति का ही चिद् विलास है .
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| 2. | अइउण्वर्ण-समाम्नाय समस्त रूपात्मक जगत् का आदि कारण है .
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| 3. | मेरे लिए और साहित्य जगत् के लिए भी।
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| 4. | ने भी जगत् की प्रतीति की प्राय :
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| 5. | ॐ ईशा वास्यमिदँ सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत् ।
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| 6. | आप इस दृश्यमान जगत् के परमार्थ रूप हैं।
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| 7. | जगत् में उगते सूर्य को पूजनेकी प्रथा है।
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| 8. | देवी सर्वरूपमयी हैं तथा सम्पूर्ण जगत् देवीमय है।
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| 9. | देवी सर्वरूपमयी हैं तथा सम्पूर्ण जगत् देवीमय है।
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| 10. | वाह्य जगत् के रूपों की छाप नहीं है;
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